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Khatre Alpsankhyakwad Ke   

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Author Muzaffar Hussain
Features
  • ISBN : 9788173155284
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Muzaffar Hussain
  • 9788173155284
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2010
  • 156
  • Hard Cover
  • 250 Grams

Description

दुनिया जब से बनी है तब से ‘अल्पसंख्यक’ और ‘बहुसंख्यक’ शब्द का रिवाज चल पड़ा है। लेकिन इसका सबसे खतरनाक रूप उस समय देखने को मिलता है जब ‘अल्पसंख्यक’ शब्द का राजनीतीकरण हो जाता है। आर्थिक रूप से लाभ उठाने के लिए भी इसका उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। लोकतंत्र में तो यह शब्द वोटों की टकसाल बन गया है। राजनीतिज्ञों ने इसे अपने लाभ के लिए खूब तोड़ा-मरोड़ा है। भारत के परिवेश में ‘अल्पसंख्यक’ और ‘आरक्षण’—ये दो ऐसे शब्द हैं जो पिछले सत्तावन वर्षों से सुनाई दे रहे हैं। जब तक वोटों की राजनीति नहीं बदलेगी तब तक यह धारदार हथियार राजनीतिज्ञों के लिए उपयोगी रहेगा। जो आरक्षित हैं, उनका सोचना है कि अल्पसंख्यक बनने में अधिक लाभ हैं और जो अल्पसंख्यक हैं, उनका मानना है कि जो लाभ आरक्षण प्राप्‍त करने में है वह अल्पसंख्यक बनने में नहीं। इसलिए ये दोनों वर्ग लाभान्वित होने पर भी संतुष्‍ट नहीं हैं। जो असंतोष हमें दिखलाई पड़ता है उसके मूल में इसी प्रकार के गढ़े गए शब्द हैं। राष्‍ट्र ही नहीं, धर्म के आधार पर बने समाज और जातियों में भी लोग स्वयं को कम और अधिक की दृष्‍टि से देखने लगे हैं। यह सारी स्थिति राष्‍ट्रीय एकता को प्रभावित करती है। इसलिए हमें अपने राष्‍ट्र को सुदृढ़ और शालीन रखना है तो इन शब्दों पर विचार करके कोई नई राह निकालनी होगी।
—इसी पुस्तक से

The Author

Muzaffar Hussain

जन्म : सन् 1945 में बिजोलियाँ, राजस्थान में।
शिक्षा : स्नातक की उपाधि नीमच महाविद्यालय (विक्रम विश्‍वविद्यालय) से प्राप्‍त की। एल-एल.बी. (प्रथम श्रेणी) मुंबई विश्‍वविद्यालय से। पत्रकारिता का अध्ययन मुंबई में ही।
कृतित्व : व्यवसाय के रूप में पत्रकारिता को अपनाया। हिंदी और गुजराती के विभिन्न अखबारों में अपनी सेवाएँ प्रदान कीं। औरंगाबाद के दैनिक ‘देवगिरी समाचार’ में सलाहकार संपादक के पद पर काम किया।
प्रकाशन : हिंदी, मराठी, गुजराती और अंग्रेजी में अब तक कुल नौ पुस्तकें प्रकाशित। वर्तमान में देश-विदेश के बयालीस दैनिकों एवं साप्‍ताहिकों में प्रति सप्‍ताह स्तंभ लेखन। वक्‍ता के रूप में प्रतिष्‍ठित संस्थाओं एवं विश्‍वविद्यालयों में नियमित आमंत्रित।
सम्मान/पुरस्कार : राष्‍ट्रीय स्तर के चौदह पुरस्कारों से सम्मानित; 26 जनवरी, 2002 को राष्‍ट्रपति द्वारा ‘पद्मश्री’ सम्मान से सम्मानित।

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