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इस संग्रह की कहानियों को पढ़कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएँगे। इनमें आप पढेंगे कि एक महिला अपने घरेलू कामों के लिए एक हिजड़े को रखती है; गुंडों का एक समूह बारिश की एक भीगी रात में एक लड़की की रक्षा करता है; एक प्लास्टिक सर्जन एक मरीज का ऑपरेशन करने को इसलिए मना कर देता है, क्योंकि वह अनावश्यक काररवाई की माँग करता है; और एक लड़के की मार्मिक कहानी, जिसने सालों पहले एक बच्चा-लंगूर को निश्चित मौत के मुँह में जाने से बचाया था।
इसके साथ-साथ आप पढ़ेंगे एक ऐसी लड़की की कहानी, जिसने बंदरों के कबीले से भागने में सफलता प्राप्त की; एक खूबसूरत युवती की कहानी, जिसे तेजाब के हमले के बाद घरवालों ने स्वीकारने से मना कर दिया; एक अकेली माँ, जो बड़ी मुश्किल से एक इमारत की आग से बची; एक नवयुवती, जिसने बहुत साहस दिखाया, जब ट्रेन में उसके ऊपर हमला हुआ। आज की महिलाओं को रहम, दया या किसी भीख की जरूरत नहीं है। वे परिवर्तन की तलाश में हैं, विषम परिस्थितियों का सामना कर उनसे पार पाने की क्षमता विकसित कर रही हैं।
अपने आत्मविश्वास को जाग्रत् कर अभीष्ट को पाने की अदम्य इच्छाशक्ति अर्जित करने की प्रेरणा देता खट्टी-मीठी प्रेरक कहानियों का यह संग्रह सभी आयु वर्ग के पाठकों के लिए पठनीय और संग्रहणीय है।
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अनुक्रम
प्रस्तावना — Pgs. 5
1. स्वीकृति — भास्वर मुखर्जी — Pgs. 11
2. एक लाल गुलाब — सौरभ कुमार — Pgs. 23
3. ढाका की लड़की — दृष्टि दासगुप्ता — Pgs. 31
4. अग्निपरीक्षा — सुप्रिया उन्नी नायर — Pgs. 42
5. अमृत — सत्यार्थ नायक — Pgs. 51
6. मना करने की आजादी — जिम्मी मैथ्यू — Pgs. 58
7. पिताजी का पढ़नेवाला चश्मा — विभा लोहानी — Pgs. 65
8. आग्नेया — राजेश पोप्पोटे — Pgs. 71
9. एक नई शुरुआत — स्वाहा भट्टाचार्य — Pgs. 77
10. रहस्यमयी दंपती — ऋषी वोहरा — Pgs. 84
11. झनु मंक्डिया ने यह कैसे संभव किया — Pgs. नीलमणि सुतार — Pgs. 90
12. सविता की कहानी — सुभोब्रता — Pgs. 97
13. तेजाब — पुष्कर पांडेय — Pgs. 102
14. दादा-दादी का दिन — नलिनी चंद्रन — Pgs. 112
15. उदयन का प्रभाव — प्रवीण पी. गोपीनाथ — Pgs. 119
16. विदा लेने का समय नहीं — नेहा गर्ग — Pgs. 124
17. गोंडा विले की ट्रेन — ईला गौतम — Pgs. 129
18. जैसी करनी वैसी भरनी! — तूलिका दुबे — Pgs. 135
19. तूफान में कामयाबी — शांतनु भौमिक — Pgs. 140
20. एक विशेष तरह का आकस्मिक मिलन — तपन मुखर्जी — Pgs. 148
सुधा मूर्ति का जन्म सन् 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव में हुआ था। इन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया और अब इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा हैं। अंग्रेजी और कन्नड़ की एक बहुसर्जक लेखिका। इन्होंने उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रा-वृत्तांत, कहानी-संग्रह, कथेतर रचनाएँ तथा बच्चों के लिए अनेक पुस्तकें लिखी हैं।
इनकी अनेक पुस्तकों का भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और पूरे देश में उनकी 4 लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं। इन्हें सन् 2006 में साहित्य के लिए ‘आर.के. नारायण पुरस्कार’ और ‘पद्मश्री’ तथा 2011 में कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्टता के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा ‘अट्टिमब्बे पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।