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'खिडकियाँ' हमारे आसपास के घरो में खुलने वाली वह दो तरफ आमद है, जिससे हम कभी आश्चर्यचकित होते हैं तो कभी सोचने पर विवश । किसी बात से इतना इत्तेफाक रखने लगते हैं कि जैसे सामने आईना रख दिया गया । यह पुस्तक 'खिड़कियाँ' भी कुछ ऐसी ही कहानियों का संग्रह है, जिसे इसके लेखक पंकज शर्मा ने अपने जीवन के अलग-अलग वक्त, परिस्थितियों में देखा है, समझा है और फिर अपने अनुभव को अपनी कल्पनाशीलता की स्याही से बंद खिड़कियाँ खोल दी हैं। इस कहानी संग्रह की हर एक कहानी में आपको भी अपना परिचित कोई-न-कोई मिल ही जाएगा, क्योंकि इसके किरदार हमारे ही बीच के रिश्तों के ताने-बाने से लिए गए हैं।
पंकज शर्मा 'एक विशुद्ध पत्रकार हैं, बेहद शालीन और स्वाभिमानी। मगर इस सब के परोक्ष में एक ऐसे ऑब्जर्वर व चिंतक हैं, जो हर मिलने वाले व्यक्ति से उसका सत, यानी उसका सार चुरा लेते हैं और फिर उसे शब्दों में डालकर कविता-कहानी की शक्ल में हमें यानी पाठक समाज को वापस कर देते हैं। मैं खिड़कियाँ की एक इकाई हूँ, इसका गर्व हमेशा रहेगा मुझे। हिंदी साहित्य खूब पढ़ा है तो यह कह सकती हूँ कि इस पुस्तक में आंचलिक खुशबू तो कभी आध्यात्मिक भाव, कहीं समाज की कुंठा तो कहीं परिवार परंपरा का होता ह्रास आपको प्रेमचंद, शिवानी और कहीं-कहीं राही मासूम रजा को स्मरण करवाएगा।
पंकज शर्मा
जन्म : 09 मई, 1979, बिसौली, बदायूँ (उ.प्र.)।
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेज़ी, पत्रकारिता।
कृतित्व : उन्नीस बरसों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यरत, दूरदर्शन के सुबह-सवेरे में काम किया, कई डॉक्यूमेंटरीज लिखीं, दो साल इंडिया टी.वी. में काम किया। अब 11 साल से ज़्यादा आजतक न्यूज चैनल में सीनियर प्रोड्यूसर के पद पर कार्यरत, विशेष पहचान आजतक के ‘सो सॉरी’ कार्यक्रम को लिखने और उसको आवाज़ देने से मिली।
‘बदायूँ श्री सम्मान’ और ‘आदि संवाददाता सम्मान’ मिल चुका है; रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं।
‘चाँद तुम गवाह रहना’ प्रकाशित। दो और किताबें, जिनमें कहानियाँ हैं और एक उपन्यास है, प्रकाशन के लिए तैयार; तीसरी भी आधी से ज्यादा लिखी जा चुकी है, जिसमें एक सदी के इतिहास को समेटा है।
संपर्क : एम-64 (ग्राउंड फ्लोर), सेक्टर-12, नोएडा-201301 (उ.प्र.)
दूरभाष : 9871888746
इ-मेल : pankajdwijendra@gmail.com