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भूटान को रहस्यमय देश माना जाता है। कई सदनों, रहस्यवादियों, विद्वानों और तीर्थयात्रियों ने इसके अनेक दौरे किए हैं। इन सभी लोगों ने भूटान की भूमि और उसके लोगों को अनमोल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए पूरे विश्व में विलक्षण माना है। यहाँ की भूमि एवं यहाँ के निवासी अपनी अमूल्य आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक विरासत के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं।
यहाँ आनेवाले अतिथि और पर्यटकों को आश्चर्य होता है कि यहाँ के जनजीवन में पारंपरिक जीवन-शैली और संस्कृति पूर्णतः विद्यमान है। आज जब पाश्चात्य संस्कृति ने हर देश में घुसपैठ कर ली है, ऐसे में भूटान ने अभी भी अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों, सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों तथा परंपराओं को सहेजकर रखा है।
ऊँची पहाडि़यों और ढलानों पर पारंपरिक रूप से बुने वस्त्रों से निर्मित रंग-बिरंगे लहराते झंडे प्राकृतिक सौंदर्य को और भी नैसर्गिक रूप प्रदान करते हैं, वहीं स्थानीय लोगों द्वारा किए जानेवाले मनमोहक लोकनृत्य इस देश को विश्वपटल पर एक विलक्षण देश के रूप में स्थापित करते हैं।
भूटान के इतिहास, भूगोल, शिक्षा, संस्कृति के साथ-साथ भारत-भूटान संबंधों पर जानकारी देनेवाली एक पठनीय पुस्तक।
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अनुक्रम
दिल की बात —Pgs. 7
भूटान की त्रिदिवसीय अविस्मरणीय यात्रा —Pgs. 15
भूटान : भौगोलिक, सामाजिक एवं आर्थिक जीवन —Pgs. 39
भूटान : समृद्ध एवं संरक्षित इतिहास —Pgs. 50
भूटान में शिक्षा के नए आयाम —Pgs. 63
भारत-भूटान मित्रता : नए क्षितिज की तलाश —Pgs. 77
जल-विद्युत् परियोजनाएँ : भारत-भूटान रिश्तों की मजबूत धुरी —Pgs. 89
खुशियों के देश में पर्यटन —Pgs. 97
ग्रास नेशनल हैप्पीनेस वाला देश —Pgs. 117
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
जन्म : वर्ष 1959
स्थान : ग्राम पिनानी, जनपद पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)।
साहित्य, संस्कृति और राजनीति में समान रूप से पकड़ रखनेवाले डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की कहानी, कविता, उपन्यास, पर्यटन, तीर्थाटन, संस्मरण एवं व्यक्तित्व विकास जैसी अनेक विधाओं में अब तक पाँच दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित।
उनके साहित्य का अनुवाद अंग्रेजी, रूसी, फ्रेंच, जर्मन, नेपाली, क्रिओल, स्पेनिश आदि विदेशी भाषाओं सहित तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, संस्कृत, गुजराती, बांग्ला, मराठी आदि अनेक भारतीय भाषाओं में हुआ है। साथ ही उनका साहित्य देश एवं विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा रहा है। कई विश्वविद्यालयों में उनके साहित्य पर शोध कार्य हुआ तथा हो रहा है।
उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए देश के चार राष्ट्रपतियों द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मानित। विश्व के लगभग बीस देशों में भ्रमण कर उत्कृष्ट साहित्य सृजन किया। गंगा, हिमालय और पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन हेतु सम्मानित।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद तथा लोकसभा की सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति।