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‘कितनी सुबहें कितनी शाम’ शीर्षक के अंतर्गत दो लघु उपन्यास ‘एक क्रिमिनल की डायरी’ तथा ‘सकीना’ मनुष्य-जीवन के दो विभिन्न रूपों से हमारा साक्षात्कार कराते हैं। क्रिमिनल का मुख्य पात्र फाँसी का सजायाफ्ता कैदी है, जिसके वहशी और कुत्सित अतीत की कथा पूरे उपन्यास में प्रवाहित है। सेक्स के प्रति हिंसक आकर्षण और उससे उपजी हिंसा, शरीरों के सिमटने-खुलने तथा बर्बर तरीके से अंत का क्रमबद्ध सिलसिला उपन्यास के नायक की मनोगंथि है। वह जिस स्त्री को प्यार करता है, अगले ही क्षण उसे मार डालता है। फाँसी के करीब आने पर भी उसे भय नहीं, परंतु जीवन में परिवर्तन का आकांक्षी है।
दूसरी उपन्यासिका ‘सकीना’ एक मुसलमान लड़की की प्रेमकथा है। दकियानूसी और लगभग बंद से सामाजिक परिवेश से सकीना का राजू के साथ पलायन और निर्वासन का जीवन उपन्यास को रोचकता प्रदान करता है।
इन दोनों लघु-उपन्यासों के लेखक संजय सिंह ने अनूठे रचाव और काव्यात्मक भाषा से इन्हें पठनीय और रोचक बना दिया है।