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महायुद्ध के शंखनाद और जुझारू वाद्यों के तुमुलघोष के उभयपक्षीय युद्धाकांक्षी स्वजनों को निहारते अर्जुन के मनोजगत् एवं प्रश्नों के समाधान हेतु भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा जीवन-ग्रंथ गीता का विकास हुआ। शांतिकाल के सामान्य नागरिक की मनोभूमि के सवालों के लिए गीता को अध्येता के विकास के अनुरूप पुनर्कथन के रूप में समेकित करते हुए बताने की आवश्यकता पूरी करने के लिए ‘कृष्ण कहें गीतासार’ पाठकों के लिए प्रस्तुत की जा रही है। इसमें मूल गीता के क्रम को नए पाठक के हिसाब से पुनर्व्यवस्थित किया गया है। प्रयास यह किया गया है कि वह अपनी वर्तमान स्थिति का आकलन कर सके और गंतव्य के बारे में सुचिंतित मंतव्य की दृष्टि बनाकर सार्थक जीवन संपादन कर सके। अध्याय भी उसी तरह गढे़ गए हैं। सामग्री को अध्याय की भावना के अनुरूप सजाया गया है। सर्वकल्याणी ‘गीता’ को सामान्य पाठकों के लिए सरल-सुबोध भाषा में प्रस्तुत करने का महती प्रयास है यह पुस्तक।
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अनुक्रम
मेरी बात—5
आभार—7
1. अर्जुन दृष्टि—चेतना का विकास—11
2. समाधान समस्याओं का नष्टो मोह स्मृतिर्लधा—36
3. मानवी सृष्टि—देह और देही—59
4. मानव-शरीर सा-संगठन—71
5. कर्म का मर्म—89
6. स्थितप्रज्ञ या समत्वबुद्धि—131
7. क्रियायोग—146
8. बुद्धि और धृति के भेद—160
9. प्रकृति-विजय—166
10. मनुष्यों के प्रकार—173
11. त्याग और संन्यास—188
12. ज्ञान, कर्म तथा र्का के प्रकार—192
13. सुख के प्रकार—195
14. गुणकर्म व्यवस्था अर्थात् कर्माश्रम धर्म—198
15. संशय, विनाश और अविनाश—203
16. भति का विज्ञान भति जीव की चरम उपलधि—212
17. ईश्वर-जीव संबंध—239
18. स्वधर्म से साधर्म्य तक—244
19. गीता में अर्जुन की स्वधर्म से साधर्म्य की ओर यात्रा—250
जन्म : 29 नवंबर, 1951 को ग्राम-बिलरही जिला-महोबा (उ.प्र.) बुंदेलखंड।
शिक्षा : प्रारंभिक शिक्षा गाँव में; प्रयाग विद्यालय से एम.एस-सी.। 1974 में आई.पी.एस. में योगदान। सेवाकाल में एल-एल.बी., पी-एच.डी. की उपाधियाँ अर्जित।
प्रकाशन : कवि, लेखक एवं नाटककार। हिंदी, अंग्रेजी में कुल तेरह पुस्तकें प्रकाशित। स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित मासिक पत्रिका ‘प्रबुद्ध भारत’ में आलेख प्रकाशित। रामकृष्ण मिशन इंस्टीट्यूट ऑफ कल्चर, कोलकाता के प्रतिष्ठत फाउंडेशन डे ओरेशन 2012 का वक्तृता का सौभाग्य प्राप्त।
बिहार के पुलिस महानिदेशक पद से सेवा-निवृत्त। झारखंड सरकार के सुरक्षा सलाहकार (राज्यमंत्री समतुल्य) पद पर एक वर्ष से अधिक कार्य, तदोपरांत पद से त्याग-पत्र।
संपर्क : deokinandan.gautam@gmail.com