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अनुवाद : डॉ. अंजना संधीर
कृष्ण एक ऐसा व्यक्तित्व हैं, जिन्हें आप ‘विराट्’ कह सकते हैं। ‘महाभारत’ में कृष्ण एक राजनीतिज्ञ के रूप में प्रकट होते हैं तो ‘भागवत’ में उनका दैवी स्वरूप दिखाई देता है। ‘गीता’ में वे गुरु हैं, ज्ञान का भंडार हैं। ईश्वर होते हुए भी उन्होंने मानव का ही जीवन जीया। वे एक ऐसे इनसान हैं, जिनका शरीर शायद यह दुनिया छोड़कर चला गया, परंतु आत्मा की प्रबलता, स्वच्छता या दिव्यता सर्वव्यापी बन गई। मृत्यु को देख चुके, अनुभव कर चुके कृष्ण जीवन के अंतिम क्षणों में जीवन की कुछ घटनाओं को फिर एक बार देखते हैं, उनकी अनुभूति करते हैं, उन्हें फिर जीते हैं। जीवन के अंतिम प्रयाण से पहले के कुछ क्षणों का एक सूक्ष्म पड़ाव है—‘कृष्णायन’।
प्रस्तुत पुस्तक में वह कृष्ण हैं, जिन्हें आप कॉफी की टेबल पर सामने देख सकते हैं। ये वह कृष्ण हैं, जो आपकी दैनिक चर्या में आपके साथ रहेंगे। ये कोई योगेश्वर, गिरधारी, पाञ्चजन्य फूँकनेवाले, गीता का उपदेश देनेवाले कृष्ण नहीं हैं। ये तो आपके साथ मॉर्निंग वॉक करते-करते आपको जीवन का दर्शन समझानेवाले आपके ऐसे मित्र हैं, जिन्हें आप कुछ भी कह सकते हो और वे वैल्यूशीट पर बैठे बिना आपको समझाने का प्रयास करेंगे।
हमारा विश्वास है कि अगर आप कृष्ण को अपना मानोगे तो वे आपको इतना अपना लगेंगे कि आपको कभी किसी मित्र की, साथी की, किसी सलाहकार अथवा किसी के सहारे की खोज नहीं करनी पड़ेगी।
काजल ओझा वैद्य गुजराती साहित्यिक जगत् का एक विशिष्ट नाम है, जिन्होंने मीडिया, थिएटर, टेलीविजन और रेडियो पर विविध भूमिकाएँ निभाई हैं।
केवल सात वर्षों में उन्होंने 56 पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें उपन्यास, कहानी-संग्रह, कविता, निबंध, नाटक आदि शामिल हैं। गुजरात युनिवर्सिटी एवं अमेरिका और लंदन की युनिवर्सिटी में आप विजिटिंग फेकल्टी हैं। स्क्रीस्ट राइटिंग एवं ब्राडिंग के विषय पढ़ाती हैं। टेलिविजन के अनेक सफल सीरियल गुजराती एवं हिंदी में सफल धारावाहिक लिखे हैं। उनकी लिखी फिल्म ‘सप्तवदी’ देश-विदेश के फिल्म फेस्टिवल्स में सराही गई, उनके लिखे नाटक जैसे कि ‘परफेक्ट हसबंड’, ‘सिल्वर ज्युबिली’ के शो अमेरिका, लंदन, अफ्रीका और दुबई में हो चुके हैं।
उन्होंने अनेक लघु फिल्मों में दिग्दर्शन एवं अभिनय किया है।
‘प्रभात खबर’, ‘दिव्य भास्कर’, ‘गुजरात मित्र’, ‘फूलछाब-कच्छमित्र’, ‘मुंबई समाचार’ में उनके कॉलम अति लोकप्रिय हैं। ‘चित्रलेखा’ में उनके लिखे उपन्यास धारावाहिक रूप से चलते है।
अनुवादक— डॉ. अंजना संधीर
1 सितंबर को रुड़की (उत्तराखंड) में जन्म। मनोविज्ञान में पी-एच.डी.। हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती और उर्दू में समान अधिकार से लेखन। कई विधाओं में दर्जन भर पुस्तकें प्रकाशित। दूरदर्शन के लिए धारावाहिक का निर्माण। ‘तुलसी सम्मान’, ‘अदिति शिखर सम्मान’ सहित अनेक सम्मानों से सम्मानित।
संप्रति : अध्यापन, गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद।