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"इन दिनों हिंदी साहित्य में कथेतर गद्य को महत्त्व की दृष्टि से देखे जाने की प्रवृत्ति जोर पकड़ रही है और उसमें पाठकों की रुचि निरंतर अनुभव की जा रही है। कुछ अभिनव प्रयोग भी किए जा रहे हैं। वरिष्ठ कथाकार राजेंद्र राव ने संस्मरण, स्मृति-लेख और रेखाचित्र जैसी विधाओं की त्रिवेणी को कथात्मक संस्मरण के रूप में प्रस्तुत करकेकथा और कथेतर के बीच की फाँक को न्यूनतम करने का एक सफल रचनात्मक प्रयास किया है, जो कथात्मक संस्मरणों के इसअत्यंत पठनीय संकलन में द्रष्टव्य है।
इनके बारे में लेखक का कहना है, स्मृति जैसे रंग-बिरंगे फलों से लदा वृक्ष है। इनमें कुछ मीठे हैं, कुछ खट्टे और कुछ कड़वे भी, मगर बेस्वाद कोई नहीं है। इनमें से कुछ को स्वाद की तीव्रता के क्रम से हम यादों में सँजोए रखते हैं कहानियों के रूप में। हर याद रह गए चेहरे के पीछे एक या एक से अधिक कहानी/कहानियाँ होती हैं। स्मृति-पटल पर गहरे खुदे व्यक्तियों के ये रेखाचित्र/संस्मरण न होकर उनकी कहानियाँ हैं।
साप्ताहिक हिंदुस्तान और धर्मयुग में प्रकाशित राजेंद्र राव की धारावाहिक कथा-शृंखलाएँ ‘सूली ऊपर सेज पिया की’, ‘कोयला भई न राख’ और ‘हम विषपायी जनम के’ अत्यंत चर्चित और लोकप्रिय रही हैं। विश्वास है, कथात्मक संस्मरणों के इस सिलसिले का भी भरपूर स्वागत होगा।"
9 जुलाई, 1944 को कोटा (राजस्थान) में जनमे राजेंद्र राव शिक्षा और व्यवसाय से भले ही मेकैनिकल इंजीनियर रहे हों, मगर उनका मन सदैव साहित्य और पत्रकारिता में रमता रहा है।
सातवें दशक में लघु उद्योगों से कॅरियर की शुरुआत करने के बाद कुछ अत्याधुनिक और विशिष्ट गैर-सरकारी और सरकारी संस्थानों में तकनीकी और प्रबंधन के प्रशिक्षण में कार्यरत रहते हुए उन्होंने कहानियाँ और रिपोर्ताज तो लिखे ही, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित कॉलम लेखन भी किया। फिर अकस्मात् साहित्यिक पत्रकारिता में आ गए।
पहली कहानी ‘शिफ्ट’ ‘कहानी’ पत्रिका में प्रकाशित हुई। उसके बाद साप्ताहिक हिंदुस्तान, धर्मयुग, सारिका, कहानी, रविवार आदि पत्रिकाओं में कहानियाँ, धारावाहिक उपन्यास, कथा-शृंखलाएँ, रिपोर्ताज और कॉलम लेखन का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ, जो अपनी खास मंथर गति से अब तक जारी है।
अभी तक राजेंद्र राव के बारह कथा संकलन, दो उपन्यास और कथेतर लेखन का एक संकलन प्रकाशित हुआ है।
संप्रति दैनिक जागरण में साहित्य संपादक।
संपर्क : 374 ए-2, तिवारीपुर, जे.के. रेयान गेट नं. 2 के सामने, जाजमऊ, कानपुर-208010 (उ.प्र.)। मो. : 9935266693