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लेखक का कहना है कि इन कहानियों ने उन्हें एक मित्र की तरह दिलासा दी, हिम्मत बढ़ाई, मन में नई उम्मीदें जगाईं, नए रास्ते सुझाए और नया दृष्टिकोण दिया। इसके साये में उन्होंने अपने जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन होते देखा। इन कहानियों ने फिल्म व धारावाहिक एडिटर सूर्या सिन्हा को एक लेखक, मानव प्रशिक्षक एवं प्रेरक बनाकर दुनिया के केनवास पर उतार दिया। एक प्रकार से इन कहानियों की बदौलत उनका नया अवतार दुनिया के सामने आया।
‘विश्व बंधुत्व’ और ‘सर्वजन हिताय’ की भावना ने उन्हें इस बात के लिए प्रेरित किया कि क्यों न उनके जैसे निराश, हताश और अपनों से धोखा खाए दूसरे लोगों को भी इन कहानियों की असीम शक्ति से अवगत कराएँ। अत: जन्म हुआ एक पुस्तक ‘कहानियाँ बोलती हैं’ का, जो उनकी सफलतम पुस्तकों में से एक है।
आशा है, इस पुस्तक की रोशनी में समाज के उन युवाओं को दिशा मिलेगी, प्रेरणा मिलेगी, जो विभिन्न कारणों से हताश और निराश हो चुके हैं। यह केवल एक पुस्तक ही नहीं है बल्कि जीवन को नई दिशा देने का एक माध्यम भी है।
सूर्या सिन्हा अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त ‘मानव प्रशिक्षक एवं प्रेरक’ के रूप में स्थापित हैं। उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत थिएटर व संप्रेषण कला के माध्यम से की और मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में फिल्म एडिटर के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने कई प्रसिद्ध बैनरों के लिए सीरियल एवं प्रचार-फिल्में बनाईं, जो सैटेलाइट चैनलों पर प्रसारित हुईं।
साथ ही लेखन के क्षेत्र में भी उन्होंने अपूर्व लोकप्रियता हासिल की। उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में प्रमुख हैं—‘नेटवर्क मार्केटिंग : सवाल आपके, जवाब सूर्या सिन्हा के’, ‘क्या है नेटवर्क मार्केटिंग—जानिए’, ‘जीवन के प्रेरक’, ‘आई एम द विनर’ (अंग्रेजी में), ‘कैसे पाएँ सफलता नेटवर्क मार्केटिंग में’, ‘आओ बनें सफल वक्ता’, ‘अपनी याददाश्त कैसे बढ़ाएँ’, ‘लोक-व्यवहार’, ‘सफलता के अनमोल सूत्र’ आदि।
सूर्या सिन्हा सक्रिय सामाजिक भागीदारी के बीच समाज को ‘रक्तदान शिविर’, ‘बाल-जागरूकता शिविर’, ‘फ्री मेडिटेशन कैंप’, ‘शिक्षण शिविर’, ‘वृद्ध सेवा समूह’ आदि सेवाएँ भी प्रदान करते रहते हैं।