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कुँवर विक्रमादित्य की कुछ कविताएँ मैंने पढ़ी हैं, वे भावनाशील कवि हैं, इनकी कविताओं में अनुभूति की गहराई के साथ-साथ सहज भाषा का सहज स्वरूप भी भावानुकूल हुआ है। इन्होंने जीवन के कई पक्षों पर गंभीरता से विचार किया है और एक चित्रकार के रूप में उन विचारों को नई वाणी प्रदान की है। इनका रचनाकार अभी साधनारत है और उसके विकास की अनेक संभावनाएँ हैं। इनकी कविताओं में जीवन के अनेक रंग दिखाई देते हैं। आगे चलकर ये कवि कुँवर विक्रमादित्य साहित्य के उच्च से उच्चतर शिखरों पर आरोहण करेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। मैं कवि के उज्ज्वल भविष्य के प्रति पूर्णतया आश्वस्त हूँ।
—डॉ. गोपाल दास ‘नीरज’
जन्म : 18 अक्तूबर, 1986
शिक्षा : बी. टेक.।
संप्रति : संपादक, 'सरस्वती' (सुमन त्रैमासिक) पत्रिका।