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Kyon, Kyon Aur Akhir Kyon

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Author Krishna Kumar
Features
  • ISBN : 9789381063255
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Krishna Kumar
  • 9789381063255
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2012
  • 144
  • Hard Cover
  • 290 Grams

Description

जरीना की आँखें भगत के शरीर पर गड़ी थीं। मन बार-बार भगत एवं राज की ओर भागकर जाता रहा। वह एक अशांत पक्षी की तरह एक डाल से दूसरी डाल पर फुदकती रही। फिर कभी वह अपने आप से प्रश्‍न करती—'हम दोनों ने ऐसा क्या कर दिया होगा, जिसके कारण मेरे धर्म भाई ने ही मेरा सुहाग लूटना चाहा?’ थोड़ी देर बाद वह कुछ बुदबुदाने लगी, जिसकी आवाज सुनकर लोगों ने उसे सँभाला। तेज हवा के वेग से हिलनेवाले सूखे पत्तों की तरह जरीना का शरीर काँप रहा था। फिर से बुदबुदाते हुए जरीना ने कहा, ''राज से यह सब किसी ने करवाया है। निश्‍चय ही किसी ने बहकाया है। लेकिन वह बहका ही क्यों? वह कौन सा ऐसा कारण हो सकता है, जिसने राज को यह सब करने को मजबूर किया? कहीं उसका दिमाग तो नहीं खराब हो गया है? इस शहर में हम दोनों के दुश्मन भी हैं, आस्तीन के साँप की तरह, मुझे मालूम न था।’’
—इसी संग्रह से

प्रस्तुत कहानियाँ प्रवासी संसार में पारिवारिक बदलाव एवं टूटन, हिंदू-मुसलिम एकता, समाचार-पत्रों की भूमिका, सभ्य समाज को शर्मसार करती विसंगतियों का कच्चा चिट्ïठा पेश करती हैं।

The Author

Krishna Kumar

जन्म : सन् 1940 में बहराइच (उ.प्र.) में।
शिक्षा : बी.टेक. (आई.आई.टी., मद्रास), पी-एच.डी. (यू.के.)।
कृतित्व : ‘मैं अभी मरा नहीं’, ‘चिंतन बना लेखनी मेरी’, ‘लेकिन पहले इंसान बनो’, ‘एक त्रिवेणी ऐसी भी’ (कविता संग्रह); ‘अक्षर-अक्षर गीत बने’ (गीत संग्रह); ‘भाषा, साहित्य एवं राष्‍ट्रीयता’ (निबंध संग्रह)।
संपादित पुस्तकें : धनक, गीतांजलि पोएम्स फ्रॉम ईस्ट एंड वेस्ट, आएसिस पोएम्स, काव्य तरंग, मल्टीफेथ मल्टी लिंग्वल पोएम्स फॉर पीस एंड टुगेदरनेस (सभी बहुभाषीय कविताएँ अंग्रेजी अनुवाद के साथ); ‘सूरज की सोलह किरणें’ (16 रचनाओं की हिंदी कविताएँ), ‘अपनी उम्मीदों के साथ’ (गीतांजलि समुदाय के 9 कथाकारों का संग्रह)।
सम्मान : चेतना परिषद्, लखनऊ (1999), इमर्ज, यू.के. (2001), प्रवासी भारतीय भूषण सम्मान (2006), महर्षि अगस्त्य सम्मान, रामायण केंद्र, मॉरीशस (2008)।
अन्य उपलब्धियाँ : गीतांजलि बहुभाषीय साहित्यिक समुदाय, बर्मिंघम के संस्थापक। लंदन में आयोजित छठे विश्‍व हिंदी सम्मेलन की कार्यकारिणी समिति के चेयरमैन।

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