₹400
‘क्यों पापा क्यों?’ एक कहानी-संग्रह है। यह पुस्तक मनगढ़ंत कल्पनाओं पर आधारित अथवा मात्र मनोरंजन के लिए लिखी गई हो, ऐसा नहीं है। वास्तविक लोग, संयुक्त परिवार, प्रामाणिक जीवन, भूतकाल से वर्तमान समय की कड़ी-से-कड़ी जोड़ती हुई स्वतंत्र नदिया की बहती धारा के रूप में सबको लेकर,समेटते निरंतर आगे बढ़ती जीवंत सदस्यों की जीवनी में बद्ध कहानियाँ हैं ।
परिवर्तन संसार का नियम है। समाज में निरंतर परिवर्तन होता रहता है। इन कहानियों में समाज का बदलता रूप, पारिवारिक संबंधों में तनाव, अलगाव, आधुनिक जीवन-शैली, व्यक्तिगत अहं वाली मानसिकता के साथ-साथ परंपरागत संगठित परिवारों का जीवन झलकता है।
इन कहानियों में पुरानी पीढ़ी और वर्तमान पीढ़ी, दोनों का चित्रण है, जो समय और समाज के बदलते दौर पर मंथन करने के लिए प्रेरित करती हैं। दोनों पीढ़ी की सार्थक सोच के समन्वय से संभवतः समाज को अधिक सशक्त, सुखद और सभ्य बनाया जा सकता है।
चित्रा मांगलिक कुमार
क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज इलाहाबाद से हाई स्कूल और इंटरमीडिएट, इजाबेला थोबर्न कॉलेज लखनऊ से बी.ए., लखनऊ विश्वविद्यालय से प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्त्व विज्ञान में एम.ए. (टॉपर), 3 स्वर्ण पदक से पुरस्कृत, पी-एच.डी. के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन की फेलोशिप। बंबई विश्वविद्यालय से फर्स्ट क्लास में बी.एड.। विश्वविद्यालय और स्कूल में अध्यापन से खुशी और संतोष का अहसास तथा सकारात्मक योगदान का अनुभव। इंडिविजुअल चैंपियनशिप फॉर एथलेटिक्स फॉर वीमेन, लखनऊ विश्वविद्यालय। तैराकी, बास्केट बॉल प्रतियोगिताओं में विजयी। संगीत, चित्रकला, बागवानी आदि अनेक विधाओं में रुचि ।
आकाशवाणी एवं विविध भारती के कार्यक्रम चित्रशाला, चिंतन के अंतर्गत वार्त्ताएँ, काव्य पाठ; अपनाघर, नारी-जगत् सेलुलॉइड के सितारे विविध कार्यक्रमों में प्रस्तुति। जनसत्ता, नवभारत टाइम्स, सरिता के लिए विविध विषयों पर लेख। फिल्म्स डिवीजन ऑफ इंडिया, भारतीय विद्या भवन, दूरदर्शन एवं अन्य पत्रिकाओं के लिए अंग्रेजी-हिंदी अनुवाद।
सच्चाई, ईमानदारी, कर्तव्य-परायणता, निस्स्वार्थता एवं सरलता के ताने-बाने से बुना व्यक्तित्व। लिखना-पढ़ना, देश, समाज और बच्चों के सुसंस्कारी विकास के लिए प्रतिबद्ध जीवन।