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Lanchhan   

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Author Swadesh Parmar
Features
  • ISBN : 9788188266258
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Swadesh Parmar
  • 9788188266258
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 196
  • Hard Cover

Description

“कश्मीर, मैं तुम्हारी सफलता पर बहुत प्रसन्न हूँ। तुम एक योग्य अफसर हो और मैं चाहता हूँ, तुम बँगलादेश के अपने सैनिक अनुभव, अपने सुझाव और टिप्पणियाँ लिखकर मुझे प्रस्तुत करो।”
“राइट सर! वह मैं सहर्ष कर दूँगा। परंतु सर, इसमें एक बाधा है।” वह बोला।
“वह क्या है?”
“मेरे सुझाव कुछ उच्चाधिकारियों के विरुद्ध होंगे।” कश्मीर ने कहा।
“ब्रिगेडियर तुम्हारा उचित मूल्यांकन नहीं कर सका था।”
“सर, मेरा मूल्यांकन उनके और आपके विचार का विषय है। इसमें मैं कुछ नहीं कह सकता।” “हाँ, परंतु मैंने उसे अवगत करा दिया था।” कोर कमांडर ने संकेत से कह दिया। कश्मीर समझ चुका था कि उसका उच्चाधिकारी मन-वचन से समान आचरण नहीं कर पाया है। आज प्रथम बार उसे यह भास हुआ कि सेना का एक उच्चाधिकारी किस प्रकार अपनी अयोग्यता को छुपाने का प्रयत्‍न करता है। यदि युद्धकालीन स्थिति न होती, सभी ओर से निश्‍च‌ित तिथि से पूर्व कार्य को समाप्‍त करने के कठोर आदेश न होते तो उसे अपनी सूझ-बूझ को प्रदर्शित करने का समय नहीं मिलता। उस अभाव में वह अपने उच्चाधिकारी की ईर्ष्या का ग्रास बन जाता है। आज उसे प्रथम बार अनुभव हुआ कि छल-कपट सेना की वरदी पहनकर भी हो सकता है। —इसी उपन्यास से स्वतंत्रता-प्राप्‍ति के बाद जिस तीव्रता से हमारे जीवन-मूल्य विघटित हुए हैं उसी तीव्रता से सेना में अनुशासन की कठोरता में भी कमी आई है। सैन्य सेवा की पृष्‍ठभूमि पर रोचक शैली में लिखित प्रस्तुत उपन्यास ‘लांछन’ अद्वितीय विषय प्रस्तुत कर रहा है, जो अपनी हृदयस्पर्शिता और मार्मिकता के कारण पठनीय बन पड़ा है।

The Author

Swadesh Parmar

जन्म : 12 दिसंबर, 1935 को ग्राम बरवाडा, जिला काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश में।
यद्यपि कर्नल परमार शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से हुई, परंतु लेखन के लिए उन्होंने हिंदी को ही माध्यम बनाया। उनकी कहानियाँ सन् 1970 से ही सैनिक पत्रिकाओं में छपने लगी थीं। इनके द्वारा लिखित उपन्यास ‘जीवन ध्रुव’ काफी प्रसिद्ध हुआ।
सेना में उच्च पद पर रहते हुए उन्होंने साहित्य-सृजन को अपनाउद‍्देश्य बनाए रखा और अब भी कई गैर-सरकारी संस्थाओं में समाज-सेवा करते हुए साहित्य-सृजन में रत हैं। उनके उपन्यासों में हिमाचल के प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण जीवन की झाँकियाँ पाठक को सहज ही बाँध लेती हैं।

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