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Lata Aur Vriksha   

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Author Kranti Trivedi
Features
  • ISBN : 9788193295663
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Kranti Trivedi
  • 9788193295663
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 144
  • Hard Cover

Description

लता और वृक्ष
“कहो न मिनी, इसका क्या अर्थ है?”
“मन तौ शुदम का अर्थ होता है—मैं तेरा हो गया।”
शब्द और अर्थ पर वार्त्तालाप होते देख इंदरानी खिसक ली, नहीं तो देखती अपार प्रेम भरा आलिंगन कैसे हुआ करता है।
सुखबीर ने बहुत ही कोमलता से पूछा, “इसके आगे भी कुछ होगा, मिनी? आज इसी क्षण सुनने का मन हो रहा है।”
संसार की सबसे सुखी नारी के स्वर में मिनी ने कहना आरंभ किया—“फारसी का यह पूरा छंद है—
मन तौ शुदम, तौ मन शुदी।
मन तम शुदी, तौ जाँ शुदी।
ता कथाम गीयंद वाद अजी।
मन दीगरम व तौ दीगरी।”
“अब अर्थ भी बता दो, यह तुमने कहाँ पढ़ा था?”
“मरियम अम्मा की नोट-बुक में था। मुझे अच्छा लगा तो रट लिया। इसका अर्थ है—
मैं तेरा हो गया, तू मेरा हो गया।
मैं शरीर बन गया, तू प्राण बन गया।
कभी कोई यह कह न सके मैं और तू
और तू और मैं हैं।”

The Author

Kranti Trivedi

जन्म 28 सितंबर, 1930 को रायपुर (छत्तीसगढ़) में म.प्र. के प्रथम मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल के घर में। सन् 1979 से लेखन प्रारंभ किया। ‘शुगन पक्षी’, ‘कृष्ण पक्ष’, ‘अमृत घट’, ‘मोहभंग’, ‘बूँद-बूँद अमृत’ और ‘आठवाँ जन्म’ सशक्‍त सामाजिक उपन्यास, जिनमें स्त्री की समस्याओं को बहुत जानदार ढंग से उभारा गया है।
जीवनकाल में लगभग 40 पुस्तकें प्रकाशित और 4 अप्रकाशित पांडुलिपियाँ प्रकाशन की प्रक्रिया में हैं। ‘लता और वृक्ष’ का प्रकाशन मरणोपरांत किया जा रहा है। ‘मैं और मेरा समय’ आत्मकथात्मक उपन्यास। सहज भावों से ओत-प्रोत कविताओं का बहुचर्चित संकलन ‘अतिशक्षण’। ‘पत्ते की नाव’, ‘मीठी बोली’, ‘पीली हवेली’, ‘कुटकुट चूहा’ और ‘नन्हे जासूस’ लोकप्रिय बालकथाएँ।
वर्ष 2002 के हिंदी-सेवी सम्मान से सम्मानित और उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा ‘पं. दीनदयाल उपाध्याय पुरस्कार’ से विभूषित। यूनेस्को द्वारा ‘राष्‍ट्रीय हिंदी-सेवी सहस्राब्दी सम्मान’ एवं म.प्र. राजभाषा प्रचार समिति द्वारा ‘नारी लेखन पुरस्कार’ से सम्मानित।
स्मृतिशेष : 26 अक्‍तूबर, 2009।

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