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‘‘क्या वे लोग खेत जोत रहे हैं? क्या उन लोगों ने अपना काम खत्म कर लिया?’’
‘‘उन लोगों ने आधे से अधिक खेत जोत लिये हैं।’’
‘‘क्या कुछ भी काम बचा नहीं है?’’‘‘मुझे तो नहीं दिखा; पर उन्होंने जुताई अच्छी तरह से की है। वे सभी डरे हुए हैं।’’
‘‘ठीक है। अब तो जमीन ठीक हो गई है न?’’
‘‘हाँ, अब खेत तैयार हैं और उनमें अफीम के पौधों के बीज डाले जा सकते हैं।’’
मैनेजर थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोला, ‘‘वे लोग मेरे बारे में क्या कहते हैं? क्या वे मुझे गाली देते हैं?’’
बूढ़ा कुछ हकलाने लगा, पर माइकल ने उसे सच बोलने के लिए कहा, ‘‘तुम मुझे सच बताओ। तुम अपने शब्द नहीं, बल्कि किसी और के शब्द बोल रहे हो। यदि तुम मुझे सच-सच बताओगे, तब मैं तुमको इनाम दूँगा; और अगर तुम मुझे धोखा दोगे तो ध्यान रखना, मैं तुम्हें बहुत मारूँगा। कर्तुशा! इसे एक गिलास वोदका दो, ताकि इसमें साहस पैदा हो।’’
—इसी संग्रह से
सुप्रसिद्ध रूसी कथाकार लियो टॉलस्टॉय ने जीवन के सभी पक्षों पर प्रभावी रचनाएँ की हैं। उन्होंने धर्म में व्याप्त पाखंड तथा तत्कालीन कुरीतियों को अनावृत किया। मनोरंजन के साथ-साथ मन को उद्वेलित करनेवाली सरस टॉलस्टॉय की लोकप्रिय कहानियों का संग्रह।
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अनुक्रम
1. आदमी किसके सहारे जीता है? —Pgs. 7
2. देश-निकाला —Pgs. 31
3. दो बुजुर्ग आदमी —Pgs. 41
4. खोडिंका : निकोलस द्वितीय के राज्याभिषेक की एक घटना —Pgs. 65
5. आदमी को क्या अधिक जमीन की जरूरत पड़ती है? —Pgs. 75
6. एल्योशा, एक डबा —Pgs. 92
7. मोमबा —Pgs. 99
8. खाली ढोल —Pgs. 109
9. एक पागल के संस्मरण —Pgs. 119
10. आग की अनदेखी से आग नहीं बुझती —Pgs. 135
लियो टॉलस्टॉय (9 सितंबर, 1828-20 नवंबर, 1910) उन्नीसवीं सदी के सर्वाधिक सम्मानित लेखकों में से एक हैं। उनका जन्म रूस के एक संपन्न परिवार में हुआ था। उन्होंने रूसी सेना में भरती होकर क्रीमियाई युद्ध (1885) में भाग लिया। लेखन के प्रति उनकी रुचि सेना में भरती होने से पहले ही जाग चुकी थी। उनके उपन्यास ‘युद्ध और शांति’ तथा ‘अन्ना केरेनिना’ साहित्यिक जगत् में उत्कृष्ट रचनाएँ मानी जाती हैं।
धन-दौलत व साहित्यिक प्रतिभा के बावजूद टॉलस्टॉय मन की शांति के लिए अपने परिवार को छोड़कर ईश्वर व गरीबों की सेवा करने हेतु निकल पड़े।
निरुद्देश्य, विचारहीन और आत्मकेंद्रित जीवन को वे एक प्रकार का पाप मानते थे। मनोवैज्ञानिक रचनाओं में दोस्तोव्स्की ही टॉलस्टॉय के समकक्ष ठहरते हैं।