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कोरोना महामारी एक विकट संकट बनकर अचानक ही हमारे जीवन में आ गई। उन आठ-नौ महीनों के लिए जैसे सब थम सा गया। जो जहाँ था, ठहर गया। किंतु इस संकटकाल में भी प्रेम ने ही लोगों को हौसला दिया। इसी ने आपस में एक-दूसरे से जोड़े ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं कि जिन लोगों के बीच में किन्हीं वजहों से दूरियाँ आ गई थीं, उन्होंने इस दौरान आपस में बातचीत शुरू की और पुनः अपने संबंधों में मधुरता जगाई। प्रेम मनुष्य को दिल बड़ा करना सिखाता है, संकुचित करना नहीं। कितने ही लोगों ने अपने उन मित्रों और संबंधियों को याद किया, जिन्हें वर्षों से भुलाए बैठे थे। ऐसे विकट समय में अपने और अपनों का प्रेम ही संबल बना रहा और तमाम तरह की मुश्किलों से उबारने में काम आया।
ऐसे दुर्लभ और अमूल्य क्षणों को समेटे इन कहानियों में प्रेम के अलग-अलग रंग हैं। युवाओं का प्रेम, दो अजनबियों का प्रेम, परिवारीजनों का प्रेम, दो बुजुर्गों का आत्मीय प्रेम, आदि सभी तरह की कहानियाँ आपको इस पुस्तक में पढ़ने के लिए मिलेंगी। दरअसल प्रेम कभी भी रंग, रूप, जाति, धर्म, समाज, उम्र, रस्मो-रिवाज नहीं देखता। आज के तकनीकी युग में तो दूरियाँ भी प्रेम के आड़े नहीं आतीं। मानवता, करुणा, पारस्परिकता, सहयोग और आत्मीयता का बोध करानेवाली पठनीय कहानियों का रोचक संकलन।
डॉ. रश्मि
जन्म : 18 जनवरी, 1974 कानपुर (उत्तर प्रदेश)।
शिक्षा : पी-एच.डी. (कबीर काव्य का भाषा शास्त्रीय अध्ययन)।
प्रकाशित पुस्तकें : ‘और आगे बढ़ते रहो’, ‘रामकृष्ण परमहंस के 101 प्रेरक प्रसंग’, ‘व्हाट्सअप रिश्ते-नातों की कहानियाँ’, ‘अशोक चक्र विजेता’, ‘भारत रत्न से सम्मानित व्यक्तित्व’, ‘कलाम की आत्मकथा’, ‘मीराबाई’, ‘कलाम, तुम लौट आओ’ एवं ‘अटल जीवनगाथा’।
कृतित्व : विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं में लेख, कविताएँ, कहानियाँ एवं पुस्तक-समीक्षाएँ प्रकाशित। दूरदर्शन, अन्य चैनलों एवं आकाशवाणी पर प्रस्तुति। दिल्ली एवं देश के अन्य शहरों में मंच पर काव्य-प्रस्तुति।
सम्मान : डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम मेमोरियल अवार्ड, राजीव गांधी एक्सीलेंस अवार्ड, आगमन सम्मान एवं डॉ. विवेकी राय सम्मान प्राप्त।
संप्रति : लेखन व अध्यापन।
संपर्क : 9971711337
rashmi.author@gmail.com