Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Lokmanthan   

₹500

In stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Shridhar Paradkar , Dr. Ravindra Bharati , Prof. Balkrishna Kuthiala , Prof. Sanjeev Kumar Sharma
Features
  • ISBN : 9789353220983
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Shridhar Paradkar , Dr. Ravindra Bharati , Prof. Balkrishna Kuthiala , Prof. Sanjeev Kumar Sharma
  • 9789353220983
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 264
  • Hard Cover

Description

प्रस्तुत पुस्तक भारतीय समाजजीवन के विभिन्न आयामों का स्पर्श करते हुए लोक, भारतबोध, संस्कृति, शिक्षा, पत्रकारिता, कला, दर्शन, लोकतंत्र, लोकमत, राजनीति, परंपरा, धर्म, सभ्यता, संचार, संविधान, आदि अनेकानेक शाश्वत, सार्वकालिक एवं समकालीन विषयों एवं प्रश्नों को संबोधित करती है। साथ ही यह लोकजीवन तथा समाजजीवन के पारस्परिक एवं पारंपरिक तंतुओं को रेखांकित भी करती है और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में उद्घाटित करती है। अपने समग्र रूप में यह पुस्तक भारतबोध का प्रामाणिक अभिलेख तथा लोकमंथन की अधिकृत प्रस्तुति है।

___________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

आमुख — Pgs. 5

1. Reclaiming Dialogue Tradition: Reinventing Bharatiyata — Nand Kumar — Pgs. 11

2. भारतबोध सिद्धांत और संकल्पना — मुकुल कानिटकर — Pgs. 15

3. भारतीय परंपरा में कल्याणकारी राज्य — प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी — Pgs. 23

4. A Philosophical Dimension of Bharat — Dr. Neerja Arun — Pgs. 34

5. कालजयी ‘नाट्यशास्त्र’ विचार : भारतीय ज्ञान परंपरा का गौरीशंकर शिखर — डॉ. बलवंत जानी — Pgs. 43

6. अनुप्राणित हो शिक्षा — प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा — Pgs. 48

7. भारतीय राष्ट्रीयत्व का स्वाभाविक साक्षात्कार — डॉ. शरद हेबालकर — Pgs. 56

8. लोकशिक्षा और लोक में शिक्षा — श्रीमती इंदुमती बेन — Pgs. 63

9. भारतीय संस्कृति में लोक मीमांसा — प्रो. कौशल किशोर मिश्र — Pgs. 68

10. ‘भारत’ नामकरण : एक विश्लेषण — प्रो. चंद्रकांत शुक्ल — Pgs. 74

11. An Ascetic on Pilgrimage : Bhārat — Prof. Sanjeev Kumar Sharma — Pgs. 78

12. Jana Gana-Mana — Raj Nehru — Pgs. 87

13. धर्म, राजनीति एवं शिक्षा — प्रो. राकेश मिश्र — Pgs. 94

14. भारत का जनमानस और ‘मास’ की अवधारणा — डॉ. देवव्रत सिंह — Pgs. 99

15. लोक, लोकतंत्र और लोकमत परिष्कार की साधना — दिनेश कुमार — Pgs. 107

16. Lok Manthan : Samvaad — Advaita Kala — Pgs. 115

17. इंद्रधनुष-सी छटा है भारत के लोक की — विजय मनोहर तिवारी — Pgs. 120

18. जन-मन और मीडिया — प्रो. रमेशचंद्र त्रिपाठी — Pgs. 130

19. संस्कृति का राजनीतिक संस्कृति पर प्रभाव — प्रो. श्रीप्रकाश सिंह — Pgs. 140

20. पश्चिमी राजनीतिक चिंतन को  भारतीय चिंतन की चुनौती — प्रो. कौशल किशोर मिश्र — Pgs. 145

21. जन-गण-मन और पत्रकारिता — हरिश वशिष्ठ — Pgs. 150

22. Of People and Population — Ajay Bhardwaj — Pgs. 156

23. Thirukkural’s Way for Better Human Living With Special Reference to People,
Governance and Thought Process — Dr. P. Sasikala — Pgs. 162

24. कला में भारतीय दर्शन के मूल तत्त्व — डॉ. नीरजा अरुण — Pgs. 181

25. Native Narrative Consciousness of  Indian Cinema — T.S. Nagabharana — Pgs. 190

26. The Sustainable Route of  Universal Welfare — Dr. Anup K. Mishra — Pgs. 196

27. हम भारत के लोग — हरिभाई पटेल ‘रवद’ — Pgs. 205

28. लोक, बाजार और मीडिया ‘लोक’ को  संरक्षित करने से ही बचेगा भारत — प्रो. संजय द्विवेदी — Pgs. 211

29. कबरा कलां : प्राचीन सभ्यता की धरोहर — अंगद किशोर — Pgs. 217

30. भारतीय चिंतनधारा में सामाजिक एवं  राजनीतिक न्याय
के विविध आयाम — प्रो. संजीव कुमार शर्मासुश्री चंचल — Pgs. 224

31. भारत बोध : जन गण मन ‘परमवैभव की परिकल्पना’ — डॉ. सोनल ​मानसिंह — Pgs. 240

32. नाट्‍यशास्त्र और लोकानुरंजन — डॉ. रवींद्र भारती — Pgs. 248

33. धर्म तत्त्व-निर्णय — प्रो. सुरेंद्र भटनागर — Pgs. 255

लेखक परिचय — Pgs. 262

The Author

Shridhar Paradkar

श्री श्रीधर पराड़कर भारतीय साहित्य परिषद् से संबद्ध हैं।

Dr. Ravindra Bharati

डॉ. रविंद्र भारती महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के भारतविद्या संकुल के पूर्व सह निदेशक हैं।

Prof. Balkrishna Kuthiala

प्रो. बी.के. कुठियाला संप्रति हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद् के अध्यक्ष हैं। डॉ. कुठियाला पूर्व में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, भोपाल (म.प्र.) के कुलपति रह चुके हैं।

Prof. Sanjeev Kumar Sharma

प्रो. संजीव कुमार शर्मा संप्रति चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के राजनीति विज्ञान विभाग में आचार्य एवं अध्यक्ष हैं। डॉ. शर्मा अखिल भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद् के राष्ट्रीय महासचिव एवं कोषाध्यक्ष भी हैं।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW