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‘दीवारों के भी कान होते हैं’, हिंदी में इस कहावत का क्या आधार है? इसकी परिभाषा या व्याख्या की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि एक अनपढ़ भी इसका मतलब समझता है। जासूसी का इतिहास बहुत लंबा है। पाँच हजार साल पीछे जाएँ तो महाभारत में भी कई मिसाल मिल जाएँगी। पांडवों का अज्ञातवास भंग करने का प्रयास एक जासूसी प्रकरण नहीं तो और क्या है! जासूसी कहानी में एक जबरदस्त कौतूहल, जिज्ञासा और उत्कंठा होती है, जो पाठक की दिलचस्पी को आगे आनेवाली घटनाओं के बारे में मजबूती से पकड़कर रखती है। पाठक के सभी अनुमान विफल हो जाते हैं, जब घटनाक्रम अकस्मात् नए-नए मोड़ लेता है। इस रुचि को बाँधे रखना ही जासूसी कहानियों के लेखक की लेखन-निपुणता की कसौटी है। बड़े-बड़े तिलिस्मी उपन्यासों, जैसे कि चंद्रकांता संतति, भूतनाथ, सफेद शैतान आदि से कौन परिचित नहीं है।
इस संग्रह में अंग्रेजी की कुछ प्रमुख और लोकप्रिय जासूसी कहानियों का संकलन है, जो रहस्य-रोमांच से भरपूर हैं और पाठकों को बाँधकर रखने की अद्भुत क्षमता रखती हैं।
भविष्य कुमार सिन्हा
जन्म : 20 नवंबर, 1945, मथुरा (उत्तर प्रदेश)।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, अंग्रेजी), डिप्लोमा-इन-मैनेजमेंट।
कार्य-अनुभव : अनुवादक, गृह मंत्रालय, भारत सरकार। लोकसभा सचिवालय (ट्रांसलेशन एवं एडिटोरियल सर्विस) 1978-1981, स्पेशलिस्ट ऑफिसर, यूको बैंक (25 वर्ष)। 2005 में यूको बैंक से सीनियर मैनेजर के पद से सेवा-निवृत्त।
रुचियाँ : कहानी/कविता/व्यंग्य लेखन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन, आकाशवाणी के एक्सटर्नल चैनल पर सांस्कृतिक परिक्रमा का प्रसारण।
प्रकाशन : ‘दईजारे’ कहानी-संग्रह, ‘क्षितिज की दहलीज पर’ (संयुक्त काव्य-संग्रह)। अब तक लगभग अस्सी पुस्तकों का हिंदी रूपांतर।
संप्रति : स्वतंत्र लेखन/अंग्रेजी-हिंदी अनुवाद कार्य एवं हिंदी-कार्यशालाओं में लेक्चर, समन्वय, सहयोग, संचालन, बैंकिंग शब्दावली, संदर्भ सामग्री तैयार करना इत्यादि।
निवास : बी-70, शेखर अपार्टमेंट्स, मयूर विहार फेस-1 एक्सटेंशन, दिल्ली-91
मोबाइल : 9910470396
इ-मेल : sinhabhavi@gmail.com