Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Loktantra Mein Lok   

₹400

In stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Devdas Apte
Features
  • ISBN : 9789351866664
  • Language : Hindi
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Devdas Apte
  • 9789351866664
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2018
  • 200
  • Hard Cover

Description

वरिष्ठ समाजधर्मी श्री देवदास आपटे के सामाजिक दृष्टिकोण को दरशाते लेखों का पठनीय संकलन। उन्होंने ‘लोक’ के बीच अपना जीवन बिताया है। उनके सुख-दु:ख को देखा, सुना और आत्मसात् किया है। वह ‘लोक’ जिसका जीवन खुली किताब के रूप में होता है। ऐसा ‘लोक’ ग्रामीण जीवन का ही है। अत्यंत सहृदय और संवेदनशील, तो दूसरी तरफ हृदयहीन और कठोर भी। अज्ञान और ज्ञान से भरा हुआ। वह लोक, जो साफ-साफ बोलता है, सबको समझता है।
पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय समस्याओं की गहरी जानकारी, उनके निदान की प्रबल व्यावहारिक सोच और अपनी राजनैतिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए देश के कोने-कोने में घूमते रहना आपटेजी के शौक हैं। अतीव संवेदनशील होने के कारण समस्याओं की जड़ तक जाना और उनका समाधान ढूँढ़ना, बेबाकी से बोलना और लिखना इनकी विशेषता रही है। 
नेता और जनता, शहर और गाँव, करणीय और अकरणीय में बना फासला दिनानुदिन बढ़ता गया है, इसके साथ समस्याएँ भी। देवदासजी के ये आलेख फासला पाटने की कोशिश करनेवालों के लिए जहाँ मार्गदर्शक हैं, वहीं नीतियाँ और कार्यक्रम बनानेवालों के लिए जानकारियाँ भी।

________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

भूमिका—सामाजिक समस्याओं और निदान का दूसरा पहलू  —Pgs. 5

मनोगत —Pgs. 7

1. मतदान के तव —Pgs. 11

2. यमुना है तो हम हैं —Pgs. 16

3. स्वादिष्ट चाय —Pgs. 20

4. हमारा लोकपाल न अन्ना का, न सरकार का —Pgs. 24

5. हमारी जड़ें कहाँ हैं? —Pgs. 29

6. सूखती संवेदना धारा —Pgs. 34

7. जापान, इजराइल और भारत —Pgs. 38

8. लोकतंत्र की सफलता —Pgs. 42

9. युवा पीढ़ी की दिशा —Pgs. 46

10. वारी (यात्रा) : पंढरपुर —Pgs. 50

11. आपातकाल : शासकीय या सामाजिक —Pgs. 56

12. हर दिन ‘शिक्षक दिवस’ हो —Pgs. 61

13. पंद्रह रुपए की आइसक्रीम —Pgs. 65

14. दिवस मनाने का अपना ढंग —Pgs. 69

15. स्वतंत्रता मायने स्वाभिमानी और स्वावलंबी होना —Pgs. 74

16. पारंपरिक रोजगार से विमुख होते नौजवान —Pgs. 77

17. लोकतंत्र का वास्तविक पाँचवाँ स्तंभ —Pgs. 82

18. अपनी जनशति को सही नेतृत्व प्रदान कर बिहार अग्रणी होगा —Pgs. 85

19. साधारण व्यवहारों का असाधारण महव —Pgs. 91

20. सामाजिक इच्छाशति —Pgs. 95

21. शिक्षा और स्वास्थ्य ही प्रमुख हैं —Pgs. 99

22. तलाश एक अदद सुनक की —Pgs. 103

23. समझ की परिधि में —Pgs. 107

24. लोकतंत्र में लोक —Pgs. 111

25. भ्रष्टाचार का विष-वृक्ष —Pgs. 115

26. चरैवेति के मंत्र से —Pgs. 120

27. नई सरकार से अपेक्षा —Pgs. 124

28. गंगा से लेन-देन —Pgs. 128

29. जमाना वी.आई.पी. का —Pgs. 132

30. नारी के चित्र में शति रंग भरनेवाले हाथ भी हों सशत  —Pgs. 136

31. व्यवस्थित परिवार से ही प्रगतिशील समाज बनेगा —Pgs. 141

32. पर्यावरण का खेल —Pgs. 145

33. मन मालिक, शरीर मजदूर है —Pgs. 149

34. अनिर्णय के भँवरजाल में —Pgs. 153

35. देश का विकास : रेसिंग कार का ट्रैक? —Pgs. 158

36. ट्रैफिक जाम —Pgs. 163

37. छोटे-छोटे देव : छोटी-मोटी पूजा —Pgs. 167

38. आधुनिक उपकरणों की समस्याएँ और समाधान —Pgs. 172

39. पैसा पेड़ पर नहीं, परिश्रम से उगता है —Pgs. 178

40. भगवान् की पेंडिंग फाइल —Pgs. 182

41. सामाजिक विवेक सँवारने का समय —Pgs. 186

42. परिवारों को संस्कारित करता श्रावण मास —Pgs. 191

43. संस्कारित करनेवाली संस्थाओं का उचित मूल्यांकन —Pgs. 195

 

The Author

Devdas Apte

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक। राज्यसभा के सांसद रहे। सामाजिक उत्थान एवं समस्याओं के सकारात्मक समाधान के कार्यों के लिए सतत क्रियाशील हैं। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में सामाजिक-आर्थिक विषयों पर विपुल संख्या में चिंतनपरक लेख प्रकाशित। हिंदी, मराठी, बांग्ला, गुजराती के साथ-साथ सोलह भाषाओं के जानकार।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW