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लखनऊ की गलियों में बुनी गई दोस्ती की, साथ बड़े होने और खुद को ढूँढ़ने की दिल को छू लेने वाली कहानी।
दिनेश, फिरोज और राहुल लखनऊ के शांत गंजों में क्रिकेट खेलते और साइकिल चलाते साथ-साथ बड़े हुए, जहाँ उनकी जिंदगी का उनके शहर के साथ आपस में एक करीबी रिश्ता जुड़ गया। लेखक ने उनकी रोजाना की जिंदगी और साहसिक कारनामों को जीवंतता से पेश किया है; उनके उस सफर को बखूबी बयाँ किया है, जब वे तीनों अपनी-अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते हैं।
क्या होता है, जब प्यार उन्हें आमने-सामने ला देता है और उनका सामना कड़वी सच्चाई से होता है? क्या पैसों और सियासत की वेदी पर पत्रकारिता के मूल्यों की बलि दे दी जाएगी? साजिश और धोखे के आगे आदर्शवाद की राजनीति टिक पाएगी? और खास तौर पर, क्या प्यार जगह, समय और हालात की खाई को पाट देगा?
‘लव इन लखनऊ’ आए दिन बदलते समाज की पृष्ठभूमि में बुनी गई इश्क और ख्वाहिश, सियासत और भ्रष्टाचार, अरमानों और सपनों, रिश्तों और खुलासों की जबरदस्त कहानी है, जो पाठकों के मर्म और संवेदना को सहज छू लेगी।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक पार्थ सारथी सेन शर्मा भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं और इस समय लखनऊ में स्थित हैं। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स, डिस्कवर इंडिया, स्वागत, रेल बंधु और अन्य प्रतिष्ठित पत्रिकाओं के लिए कई लेख लिखे हैं, जिनमें से अधिकांश यात्रा संबंधी हैं। वर्ष 2011 में उनका एक यात्रा-वृत्तांत ‘अ पैसेज अक्रॉस यूरोप’ प्रकाशित हुआ। अपने काम और लिखने के शौक के अलावा वे अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करते हैं। वे खेलकूद में रुचि रखते हैं और साथ ही यात्रा करने तथा पुस्तकें पढ़ने के अत्यधिक शौकीन हैं।