₹350
मैं उसके हस्तक्षेप से थक चुकी थी। मैं बोली, ‘ठीक है, मुझे इस बारे में सोचने दीजिए। हम बाद में बात करते हैं।’
अगले दिन उसने फिर मुझे फोन किया। ‘मैडम, हमारी फैक्टरी में लंबे लोग भी हैं। क्या मैं आपको अलग-अलग सूची भेज दूँ, ताकि आप उनके लिए अधिक कपड़ा खरीद सकें?’
‘सुनिए, मेरे पास संशोधनों के लिए समय नहीं है। मैं ऐसा नहीं कर सकती।’
‘साड़ियों और कपड़ों का रंग क्या होगा?’
‘एक ही मूल्य के कपड़ों में हम अलग-अलग रंग ले लेंगे।’
‘अरे, आप ऐसा नहीं कर सकतीं। कुछ लोगों को अपने उपहारों के रंग पसंद आ सकते हैं और कुछ को बिलकुल भी नहीं आ सकते तो वे बहुत दुःखी हो जाएँगे।’
‘ऐसा है तो मैं एक ही रंग सभी को दे दूँगी।’
‘नहीं मैडम, ऐसा मत कीजिएगा। वे सोचेंगे कि आप उन्हें एक यूनिफॉर्म दे रही हैं।’
थककर मैं बोली, ‘तो आपका क्या सुझाव है?’
—इसी पुस्तक से
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सुप्रसिद्ध कथा-लेखिका सुधा मूर्ति की लेखनी से प्रसूत रोचक, प्रेरक एवं आह्लादित करनेवाली कथाओं का संग्रह, जो अत्यंत पठनीय है।
सुधा मूर्ति का जन्म सन् 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव में हुआ था। इन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया और अब इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा हैं। अंग्रेजी और कन्नड़ की एक बहुसर्जक लेखिका। इन्होंने उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रा-वृत्तांत, कहानी-संग्रह, कथेतर रचनाएँ तथा बच्चों के लिए अनेक पुस्तकें लिखी हैं।
इनकी अनेक पुस्तकों का भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और पूरे देश में उनकी 4 लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं। इन्हें सन् 2006 में साहित्य के लिए ‘आर.के. नारायण पुरस्कार’ और ‘पद्मश्री’ तथा 2011 में कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्टता के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा ‘अट्टिमब्बे पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।