₹200
"एक माँ ही है जो इम्तिहाँ नहीं लेती.. वरना खुदा भी कोई कसर नहीं छोड़ता
जब भी गुस्सा हुई बापू का डर दिखाया माँ ने मौका डाँट का आने पर अपने आँचल में छुपाया माँ ने..
वो दुआओं का टीका दो घूँट मीठा दही. हर इम्तिहाँ में आज तक काम आ रहा वही
माँ-बाप तो मोम हैं पल में पिघल जाते हैं... जब भी याद आती है बच्चों की मिलने निकल जाते हैं..."