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"मधुबनी' का शाब्दिक अर्थ है- मधु+बन अर्थात् शहद के जंगल। यह शाब्दिक अर्थ इंगित करता है कि यहां की भूमि पर घने जंगल थे और कुछ लोग मधुमक्खियों के छत्तों से मधु व मोम प्राप्त किया करते थे।'
पिछली सदी के आठवें दशक के पूर्वार्द्ध तक मधुबनी क्षेत्र प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण था, जिसको देखकर प्राचीन घने जंगलों का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता था। दूर-दूर तक विस्तृत बांसों के झुरमुट, कदली वृक्षों के झुंड, गगनचुंबी ताड़ वृक्षों के समूह, विभिन्न प्रकार के फल-फूलों से समृद्ध वृक्ष, लतिकाएं तथा स्थान-स्थान पर बरसात के रुके पानी में खिले कमल पुष्प जो बरबस सौंदर्य प्रेमियों को अपनी ओर आकृष्ट करते थे, उन सबका आज सर्वथा अभाव हो गया है।
उत्तरी भारत में गंगा के बांयीं ओर का भाग मिथिलांचल कहलाता था। इसके अंतर्गत दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सहरसा, सीतामढ़ी, जनकपुर, मधुबनी जनपद थे। कहा जाता है यही वह पावन अंचल था, जहां की धरित्री में विदेह-तनया जानकीजी ने अवतार लिया था।"