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‘महाभारत’ संसार के विशालतम ग्रंथों में एक है। यह महर्षि वेदव्यास की अनुपम रचना है। इसकी महत्ता के कारण इसे ‘पंचम वेद’ भी कहा गया है। यह ग्रंथ भारतीय जन-मानस के मन-प्राण में बसा हुआ है। इसके आदर्श स्त्री-पुरुष पात्र सदियों से भारतीय जन-जीवन को प्रभावित करते रहे हैं।
आज की व्यस्ततम दिनचर्या में विस्तृत कलेवरवाले इस ग्रंथ का पारायण कर इसे आत्मसात् कर पाना आसान नहीं है, फिर इसे समझना बच्चों के लिए तो और भी कठिन है। अत: महाभारत की कथा को सुपाठ्य एवं रोचक बनाने के लिए इसकी घटनाओं को अलग-अलग कथा के रूप में अत्यंत सरल व रोचक भाषा में लिखा गया है।
पुस्तक में दी गई कहानियों का वर्णन एवं घटनाएँ अति रोचक, रोमांचक, जिज्ञासापूर्ण तथा आश्चर्यचकित कर देनेवाली हैं।
विश्वास है, इन कहानियों को पढ़कर बाल-पाठक ही नहीं, सामान्य जन भी आनंदित होंगे। साथ ही महान् पौराणिक आदर्शों, सदाचारों एवं सद्गुणों को आत्मसात् करेंगे।
जन्म : 30 अगस्त, 1978 को जयपुर में।
शिक्षा : बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से विधि-स्नातक।
कृतित्व : आरंभ में लेखन को शौकिया तौर पर लेते हुए इन्होंने अनेक राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में विविध-विषयी लेख, कथा, कहानी, कविताएँ आदि लिखीं। यह लेखन आज भी जारी है। वर्तमान में इनकी लिखी दर्जन से अधिक पुस्तकें बाजार में हैं।
लेखन के साथ-साथ हरीश शर्मा अनेक सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाओं से भी जुड़े हैं। अभिनय के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। अनेक अभिनय संस्थाओं से संबद्ध होकर रंगमंचीय गतिविधियों में संलग्न हैं। इन्होंने भारतेंदु अकादमी, लखनऊ से अभिनय कार्यशाला में प्रशिक्षण लिया और दूरदर्शन के कुछ धारावाहिकों में भी कार्य किया।
संप्रति : स्वतंत्र लेखन, सामाजिक कार्य, वकालत।