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महाभारत में एक से बढ़कर एक श्रेष्ठ पात्र हैं। इसके स्त्रा् पात्रों की जीवन-विशेषताएँ हमें प्रभावित करती हैं। प्रस्तुत कृति में महाभारत में वर्णित माताओं के वंदनीय स्वरूप को उद्घाटित किया गया है। विद्वान् लेखक दिनकर जोशी ने इसमें सत्यवती, गंगा, गांधारी, कुंती, द्रौपदी, हिडिंबा, चित्रांगदा, उलूपी, सुभद्रा एवं उत्तरा आदि माताओं के जीवन के विभिन्न पक्षों पर सर्वथा अलग तरह से दृष्टि डालते हुए उनके विशिष्ट स्वरूप का दिग्दर्शन कराया है।
जन्म : 30 जून, 1937 को भावनगर, गुजरात में।
श्री दिनकर जोशी का रचना-संसार काफी व्यापक है। तैतालीस उपन्यास, ग्यारह कहानी-संग्रह, दस संपादित पुस्तकें, ‘महाभारत’ व ‘रामायण’ विषयक नौ अध्ययन ग्रंथ और लेख, प्रसंग चित्र, अन्य अनूदित पुस्तकों सहित अब तक उनकी कुल एक सौ पच्चीस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्हें गुजरात राज्य सरकार के पाँच पुरस्कार, गुजराती साहित्य परिषद् का ‘उमा स्नेह रश्मि पारितोषिक’ तथा गुजरात थियोसोफिकल सोसाइटी का ‘मैडम ब्लेवेट्स्की अवार्ड’ प्रदान किए गए हैं।
गांधीजी के पुत्र हरिलाल के जीवन पर आधारित उपन्यास ‘प्रकाशनो पडछायो’ हिंदी तथा मराठी में अनूदित। श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित दो ग्रंथ—‘श्याम एक बार आपोने आंगणे’ (उपन्यास) हिंदी, मराठी, तेलुगु व बँगला भाषा में अनूदित; ‘कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्’ हिंदी भाषा में तथा द्रोणाचार्य के जीवन पर आधारित उपन्यास ‘अमृतयात्रा’ हिंदी व मराठी में अनूदित हो चुका है। ‘35 अप 36 डाउन’ उपन्यास पर गुजराती में ‘राखना रमकडा’ फिल्म निर्मित।