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"इस पुस्तक में महाकुंभ प्रयागराज-2025 के आयोजन के साथ-साथ कुंभ मेले के ऐतिहासिक, पौराणिक, ज्योतिषीय, सामाजिक महत्त्व का विस्तारपूर्वक वर्णन और कुंभ के संदर्भ में पुराण, महाकाव्य सहित विभिन्न काल अवधि में लिखित ग्रंथों और यात्रा वृत्तांत में की गई चर्चा को रेखांकित किया गया है।
इस पुस्तक में कुंभ, अर्द्धकुंभ और महाकुंभ के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान जैसे आरती, स्नान, कल्पवास, व्रत एवं उपवास, देव पूजन, दान और सत्संग, श्राद्ध और तर्पण, वेणी और दीपदान इत्यादि के महत्त्व और उसकी प्रक्रिया को क्रमबद्धता में योजनाबद्ध तरीके से समझाया गया है। त्रिवेणी संगम, पंचकोशी परिक्रमा और प्रयागराज के ऐतिहासिक मंदिर, शक्तिपीठ, धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का उल्लेख किया गया है। प्रयागराज की सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक विरासत के सूचनात्मक, तथ्यात्मक विषयवस्तु को समाहित करते हुए अद्यतन स्वरूप की व्याख्या और विश्लेषण किया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा महाकुंभ के आयोजन के लिए प्रशासनिक उत्कृष्टता, प्रबंधन के लिए किए जा रहे परंपरागत एवं नवाचार आधारित पहलों की चर्चा की गई है। इस पुस्तक में यह बताया गया है कि किस प्रकार से प्रशासनिक कुशलता और कार्य निष्पादन की क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रयागराज कुंभ मेला क्षेत्र को अस्थायी तौर पर प्रदेश का 76वाँ जिला घोषित किया गया। प्रयागराज कुंभ मेला की स्नान की प्रमुख तिथियों के साथ वर्तमान समय में की गई तैयारी को भी दर्शाया गया है और महाकुंभ के सनातन और भारतीय संस्कृति में इसकी महत्ता का तुलनात्मक अध्ययन समाहित है। कल्पवास की विस्तार से चर्चा की गई है तथा कुंभ मेला आयोजन की प्राचीन, मध्यकालीन, आधुनिक और वर्तमान परिदृश्य में महत्त्व को बताया गया है।
भारत में लगने वाले विभिन्न स्थानों के कुंभों की चर्चा और वहाँ आयोजित होने के कारण भी बताए गए हैं तथा कुंभ में सामाजिक समरसता को भी परिभाषित किया गया है। आज कुंभ प्रदेश के सामाजिक, सांस्कृतिक आयोजन का सबसे बड़ा त्योहार है।"