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Mahan Avishkarak Marconi

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Author Sushil Kapoor
Features
  • ISBN : 9789350484074
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Sushil Kapoor
  • 9789350484074
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2025
  • 128
  • Soft Cover
  • 270 Grams

Description

महान् आविष्कारक मार्कोनी का जन्म 25 अप्रैल, 1874 को ग्यूसेप, इटली में हुआ था। उन्हेंने बोलोग्ना, लोरेंस और लिवोमो में शिक्षा प्राप्‍त की। बचपन में उनकी शारीरिक और बिजली विज्ञान में गहरी दिलचस्पी थी। उन्होंने मैक्सवेल, हर्ट्ज, RIGHI, लॉज और अन्य वैज्ञानिकों के कार्य का अध्ययन किया।
सन् 1896 में मार्कोनी ने वायरलेस टेलीग्राफी उपकरण बनाया और उसका लंदन में सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया तथा जुलाई 1897 में वायरलेस टेलीग्राफ और सिग्नल कंपनी लिमिटेड (1900 में मार्कोनी के वायरलेस टेलीग्राफ कंपनी लिमिटेड फिर से नामित) का गठन किया। 1899 में उन्होंने इंग्लिश चैनल पर फ्रांस और इंग्लैंड के बीच बेतार संचार की स्थापना की।
सन् 1914 में उन्हें एक लेफ्टिनेंट के रूप में इतालवी सेना में कमीशन मिला और 1916 में कमांडर की रैंक में नौसेना के लिए स्थानांतरित कर दिया गया। उनकी उत्कृष्‍ट युद्ध सेवा के लिए वर्ष 1919 में उन्हें ‘इतालवी सेना पदक’ तथा बाद में ‘ग्रैंड क्रॉस’ से सम्मानित किया गया। 20 जुलाई, 1937 को रोम में उनका निधन हो गया।
उन्होंने विविध रूपों में मानवता की बड़ी सेवा की। प्रस्तुत पुस्तक में उनके जीवन-प्रसंगों के साथ-साथ उनके उपयोगी आविष्कारों के बारे में विस्तार से बताया गया है। विद्यार्थी व शिक्षार्थी ही नहीं, कुछ भी नया करने की इच्छा रखनेवाले विज्ञान-प्रेमी पाठकों के लिए एक उपयोगी पुस्तक।

The Author

Sushil Kapoor

हिंदी साहित्य में एम.ए. तथा अभिव्यंजनावाद पर शोध कार्य। कुछ समय तक कॉलेज में अध्यापन के बाद एक पत्रिका के उपसंपादक बने। एक समाचार एजेंसी में उपसंपादक, एक प्रकाशन संस्थान में प्रकाशन-प्रबंधक, एक समाचार मासिक में वरिष्‍ठ सहायक संपादक रहे तथा एक विज्ञापन एजेंसी में दो दशक तक वाइस प्रेसीडेंट के पद पर काम किया। इसके साथ-साथ रेडियो व विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेख, अग्रलेख, आवरण कथाएँ, फीचर, नाटक आदि लिखे। विज्ञापन एजेंसियों के लिए कॉपीराइटिंग तथा लघु चित्रों के लिए पटकथाएँ आदि लिखीं। प्रकाशन संस्थानों के लिए लेखन, अनुवाद, संपादन आदि किया। संप्रति स्वतंत्र लेखन।

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