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अखंड चेतना का पर्याय है भारत। यह मात्र एक भौगोलिक इकाई नहीं, जिसे नदियों, पहाड़ों, मैदानों या समुद्र-तटों से परिभाषित किया जा सके। यह तो संस्कृति की सनातन यात्रा का यायावर है। इसे हम आलोक का महापुंज भी कह सकते हैं। ‘भा’ का अर्थ प्रकाश ही तो होता है। भा+रत यानी प्रकाश में रत, प्रकाश में लवलीन, या यों कहें कि प्रकाश को अपने में समाया हुआ देश। विश्व में अनेक देश हैं—बड़े भी, छोटे भी; धनवान् भी, गरीब भी; साम्राज्यवादी भी, शोषित भी; सामंती भी और लोकतांत्रिक भी। फिर भारत की ऐसी क्या विशेषता है, जिसे हम एक अलग पहचान दे सकें? यह पहचान है आत्मप्रकाश के चिरंतन वैभव की। यह पहचान है असत्य से सत्य की ओर ले जानेवाली; अंधकार से आलोक की ओर ले जानेवाली तथा नश्वरता से अमरता की ओर ले जानेवाली उसकी अटूट सांस्कृतिक परंपरा की। शताब्दियाँ बीत गईं, पर यह पहचान अक्षुण्ण रही। परिस्थितियों के झंझावात इसे कभी भी धूमिल नहीं कर सके, न कभी कर सकेंगे। हमारे पर्वों-त्योहारों में, हमारे पूजा और अनुष्ठानों में, हमारे लौकिक रीति-रिवाजों में, हमारे हर्ष और शोक में या यों कहिए कि हमारे संपूर्ण लोक-व्यवहार में इसी निधि की, यानी भारतीयता की अखंड छाप बनी रही। तभी तो ‘यूनान, मिस्र, रोमाँ, सब मिट गए जहाँ से/कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।’ भारत और भारतीयता को विस्तृत आलोक में समझानेवाली एक ज्ञानपरक पुस्तक।
अरुमुगम की पहचान भारतीय हॉकी के इतिहासकार के रूप में है। अपने लेखन के जरिए हॉकी को नई दिशा और सोच देने के लिए अरुमुगम का योगदान उल्लेखनीय है। हॉकी खेल और खिलाडि़यों की दुर्लभ तसवीर और जानकारी इकट्ठा करने का रिकॉर्ड अरुमुगम के खाते में है। हॉकी खेल से लगाव होने के कारण उन्होंने इंटरनेशनल हॉकी इयर बुक सीरीज ही लिख डाला। उन्होंने विश्व कप और चैंपियंस ट्राफी जैसे कई प्रतिष्ठित आयोजनों को कवर भी किया है। फिलहाल वे फीचर बेवसाइट stic2hockey.com के संपादक हैं। नई दिल्ली में स्वतंत्र पत्रकार के रूप में वे कई प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों में वे समय-समय पर कॉलम भी लिखते रहते हैं।
खेल पत्रकारिता की दुनिया में गुलु इज़ीक्यल एक जाने-माने स्तंभ हैं। खेल पत्रकार के रूप में इज़ीक्यल ने अपने कॅरियर की शुरुआत इंडियन एक्सप्रेस, मद्रास से की। इसके बाद 1991 में वे नई दिल्ली में अंग्रेजी अखबार पायनियर से जुड़े। 1993 से 94 तक उन्होंने एशियन एज में खेल संपादक के रूप में काम किया। इसके बाद वे फाइनेंशियल एक्सप्रेस और आउटलुक से भी जुड़े। 1996 से लेकर 2000 तक वे खेल संपादक के रूप में एनडीटीवी इंडिया में कार्यरत रहे। इसके बाद इसी भूमिका में इंडिया डॉट कॉम के लिए भी काम किया। 2001 में उन्होंने अपनी कंपनी जी.ई. फीचर्स लांच की।
इज़ीक्यल की कई पुस्तकें जैसे—सौरव : ए बायोग्राफी, द पेंग्विन बुक ऑफ क्रिकेट लिस्ट, द ए-जेड ऑफ सचिन तेंदुलकर और कैप्टन कूल : द एम.एस. धोनी स्टोरी आदि प्रकाशित हो चुकी हैं।