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महानगरों में पारिवारिक संबंध, नैतिक मूल्य, धर्म और सभ्यता के सारे सिद्धांत असत्य प्रतीत होते हैं। भाई-बहन, माँ-बाप, मित्र-परिचित, पास-पड़ोस के वे सभी संबंध, जिनमें हजारों वर्षों की सभ्यता का इतिहास छिपा हुआ था, इस महानगरी ने सबको व्यर्थ कर दिया है। आज आवश्यकता है कि नगर और महानगर के बीच जो असंतुलन बढ़ रहा है वह कम हो। भीड़ इनसानों का जंगल न बनकर मानवीय स्तर पर जीवित रहे। आदमी और आदमी के बीच टूटन, घुटन, संत्रास, बिखराव एवं अपरिचय का जो वातावरण बन रहा है वह इस सीमा तक न बढ़े कि हम नागरिक सभ्यता से ऊबकर जंगली सभ्यता की ओर भाग निकलें।
इस पुस्तक में जो कहानियाँ संकलित की गई हैं उनके रचनाकारों ने अपने-अपने ढंग से महानगरों की विषमताओं एवं विसंगतियों को देखा है, समझा है, महसूस किया है, विश्लेषित किया है और अभिव्यक्त किया है। इस संकलन की कहानियाँ महानगरों की अनेकानेक समस्याओं से जूझते व्यक्ति और उसके मनोविज्ञान का परिचय कराने में सहायक होंगी, ऐसा हमारा विश्वास है।
जन्म : सन् 1944, संभल ( उप्र.) ।
डॉ. अग्रवाल की पहली पुस्तक सन् 1964 में प्रकाशित हुई । तब से अनवरत साहित्य- साधना में रत आपके द्वारा लिखित एवं संपादित एक सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । आपने साहित्य की लगभग प्रत्येक विधा में लेखन-कार्य किया है । हिंदी गजल में आपकी सूक्ष्म और धारदार सोच को गंभीरता के साथ स्वीकार किया गया है । कहानी, एकांकी, व्यंग्य, ललित निबंध, कोश और बाल साहित्य के लेखन में संलग्न डॉ. अग्रवाल वर्तमान में वर्धमान स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बिजनौर में हिंदी विभाग में रीडर एवं अध्यक्ष हैं । हिंदी शोध तथा संदर्भ साहित्य की दृष्टि से प्रकाशित उनके विशिष्ट ग्रंथों-' शोध संदर्भ ' ' सूर साहित्य संदर्भ ', ' हिंदी साहित्यकार संदर्भ कोश '-को गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ है ।
पुरस्कार-सम्मान : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा व्यंग्य कृति ' बाबू झोलानाथ ' (1998) तथा ' राजनीति में गिरगिटवाद ' (2002) पुरस्कृत, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली द्वारा ' मानवाधिकार : दशा और दिशा ' ( 1999) पर प्रथम पुरस्कार, ' आओ अतीत में चलें ' पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ का ' सूर पुरस्कार ' एवं डॉ. रतनलाल शर्मा स्मृति ट्रस्ट द्वारा प्रथम पुरस्कार । अखिल भारतीय टेपा सम्मेलन, उज्जैन द्वारा सहस्राब्दी सम्मान ( 2000); अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानोपाधियाँ प्रदत्त ।