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बचपन जीवन की ऐसी आधारशिला है, जहाँ से निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत होती है। किसी भी महापुरुष के व्यक्तित्व और कृतित्व में सकारात्मक तत्त्व जुड़ते हैं, जो उसे आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होते हैं। व्यक्ति गाँव में रहे या शहर में, गरीब हो या अमीर, हर व्यक्ति के जीवन में घटनाएँ होती ही हैं और दुर्घटनाएँ भी। लेखक ने इस पुस्तक में ऐसे महापुरुषों के बचपन को बेबाकी से रेखांकित किया है, जिन्होंने गरीबी की मार को झेलने के साथ-साथ सामाजिक विषमता को भी भोगा है। बावजूद इसके उन्होंने जीवन के मूल्य को समझते हुए अपने पथ का निर्माण किया, जो बाद की पीढ़ी के लिए प्रेरक और आदर्श बना।
चूँकि नैमिशराय लेखक और पत्रकार के साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी रहे हैं, इसलिए उन्होंने ऐसे महापुरुषों के त्रासदी झेलते हुए बचपन को अपने शोध और लेखन का केंद्र बनाया, जिनके कार्यों का विश्लेषण न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर हुआ, बल्कि अंतरराष्ट्रीय जगत् में भी उन्हें ख्याति मिली। ऐसे महापुरुषों के बचपन की गतिविधियों से पाठक अवश्य ही रूबरू होंगे।
सच कहा जाए तो लेखक ने ‘महापुरुषों का बचपन’ नामक इस पुस्तक के माध्यम से ऐसे रचना-संसार को बच्चों के सामने रखने का प्रयास किया है, जिससे आज का बचपन महापुरुषों के कल के बचपन से अवश्य ही रिश्ते बनाएगा और उनके जीवन-आदर्शों को अपनाकर प्रगति पथ पर भी अग्रसर होगा।
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अनुक्रम
दो शद—7
1. वीरांगना झलकारीबाई—21
2. मार्टिन लूथर किंग—36
3. राय बहादुर मुंशी हरी प्रसाद टम्टा—45
4. बाबू जगजीवन राम—50
5. क्रांति ज्योति सावित्रीबाई फुले—55
6. ज्योतिराव फुले—64
7. राजर्षि छत्रपति शाहू—79
8. के.आर. नारायणन—87
9. महात्मा गांधी—92
10. विनोबा भावे—98
11. बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर—106
12. कलाम साहब—116
13. गाड़गे बाबा—125
14. पी. बालू—140
15. मदर टेरेसा—148
16. लाल बहादुर शास्त्री—156
17. नेल्सन मंडेला—163
18. अब्राहम लिंकन—171
19. बिरसा मुंडा—179
20. रवींद्रनाथ ठाकुर—188
संदर्भ—196
मोहनदास नैमिशराय
जन्म : 5 सितंबर, 1949, मेरठ (उ.प्र.) में।
कृतित्व : लगभग 6 वर्षों तक डॉ. अंबेडकर प्रतिष्ठान, भारत सरकार, नई दिल्ली में संपादक एवं मुख्य संपादक; महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय केंद्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा एवं अन्य विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर; पत्रकारिता, रेडियो, दूरदर्शन, फिल्म, नाटक आदि में लेखन व प्रस्तुति का व्यापक अनुभव; भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में अध्येता के रूप में ‘मराठी और हिंदी दलित नाटक’ पर शोध।
प्रकाशित मुख्य कृतियाँ : ‘सफदर एक बयान’ (कविता-संग्रह) 1980, ‘अपने-अपने पिंजरे’ (आत्मकथा, पहला भाग), ‘आवाजें’ (प्रथम कहानी-संग्रह) 1998, ‘मुक्ति पर्व’ (उपन्यास) 1999, ‘स्वतंत्रता संग्राम के दलित क्रांतिकारी’ 1999, ‘आग और आंदोलन’ (कविता-संग्रह) 2000, ‘हैलो कॉमरेड’ (नाटक) 2001, ‘जख्म हमारे’ (उपन्यास) 2011, ‘भारतीय दलित आंदोलन का इतिहास’ (चार भागों में) 2012, अन्य कहानी-संग्रह एवं उपन्यास।
अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से अलंकृत। हिंदी मासिक ‘बयान’ पत्रिका का संपादन।
संपर्क : बी.जी.-5ए/30 बी, पश्चिम विहार, नई दिल्ली।
मो. : 8860074922
इ-मेल : namishray@hotmail.com