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मृत्यु एक भयानक तथा परम सत्य है और ' एड्स ' एक ऐसी महामारी है, जो मृत्यु का पर्याय है । एड्स द्वारा महाविनाश के संभावित खतरे से समूचा विश्व आतंकित है और अब हमारे देश में भी यह महारोग अपने पाँव पसार चुका है ।
एड्स का परिचय, उसका इतिहास, लक्षण, रोग उत्पन्न होने के कारण तथा संक्रमण से बचाव के उपाय प्रामाणिक तौर पर इस ग्रंथ में प्राप्त हो जाते है । एड्स के संबंध में जो भ्रांतियाँ जनमानस में प्रचलित हो रही हैं, उन्हें दूर करने का प्रयास भी प्रस्तुत पुस्तक में किया गया है । ' महारोग एड्स ' के इस नवीन संस्करण में ' एड्स और कैंसर ' तथा 'यौनजनित रोग और उनका एड्स से संबंध' जैसे अनेक महत्त्वपूर्ण अध्याय बढ़ाए गए हैं ।
अपने संपूर्ण भविष्य को सुखद बनाने के लिए एड्स को जानना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होना चाहिए । इस दिशा में यह पुस्तक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकती है ।
एड्स पर जनसाधारण एवं चिकित्साकर्मियों के लिए विशिष्ट तथा उपयोगी जानकारी प्रदान करने हेतु सुगम, सरल और बोधगम्य शैली में लिखी गई लेखक की इस यशस्वी कृति का यह परिवर्द्धित संस्करण चिकित्सा क्षेत्र की एक उपलब्धि तो है ही, आम आदमी के लिए भी अत्यंत उपयोगी है ।
शिक्षा : जबलपुर विश्वविद्यालय से एम.बी.बी.एस., फिर बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल से एम.डी. ( पैथो.) ।
लेखन-प्रकाशन : छात्र जीवन से ही हिंदी लेखन में रुचि । साहित्यिक पत्रिका ' समवेत ' का संपादन । मूलतः गद्यकार; कहानियाँ व्यंग्य लेख, लघुकथाएँ अनवरत रूप से देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में छपते आ रहे हैं । कई रचनाएँ आकाशवाणी से भी प्रसारित । लेखन के माध्यम से चिकित्सा विज्ञान की जनोपयोगी बातें सामान्य व्यक्तियों तक पहुँचाने का भी उद्देश्य । अब तक तीन सौ के लगभग चिकित्सा विज्ञान संबंधी लेख एवं साहित्यिक रचनाएँ प्रकाशित ।
पुस्तकें : एड्स पर हिंदी की पहली पुस्तक ' महारोग एड्स ' के अलावा एक व्यंग्य संकलन ' नहीं, यह व्यंग्य नहीं है ' प्रकाशित । तीन चिकित्सा विज्ञान संबंधी पुस्तकें, एक व्यंग्य संकलन तथा एक कहानी संग्रह शीघ्र प्रकाश्य ।
पुरस्कार-सम्मान : ' महारोग एड्स ' पुस्तक के लिए भारत सरकार का डॉ. मेघनाद साहा राष्ट्रीय पुरस्कार ( प्रथम) दिया गया । इसके अलावा छोटे-बड़े अन्य पुरस्कार-सम्मान भी ।
संप्रति : जिला चिकित्सालय, दमोह ( म.प्र.) में ब्लड ट्रांसफ्यूजन ऑफीसर के पद पर कार्यरत ।