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"आपराधिक कथाक्रम के इतिहास में कुछ ही नाम नटवरलाल उर्फ मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव जितने कुख्यात और शातिर होते हैं। एक मास्टर ठग, पहचान बदलने में गिरगिट और धोखे में छिपी एक पहेली नटवरलाल के जीवन ने दुनिया भर के लोगों की कल्पना को उड़ान दी है कि कैसे और किन-किन तरीकों से यह महाठग लोगों को चूना लगाता है।
इस पुस्तक का उद्देश्य उसके व्यक्तित्व के आसपास के रहस्य की परतों को उधेडऩा, उसके कारनामों के जटिल जाल, उसके चरित्र की जटिलताओं एवं अपराध की बदनाम दुनिया में उसके कुकृत्यों को उजागर करना है।
नटवरलाल की कहानी दु:साहस, दुर्बुद्धि और धनलोलुपता की ऐसी कहानी है, जो किसी को भी अपराध के मार्ग पर चलने से ठिठकाएगी। एक छोटे शहर में मामूली परिस्थितियों में जनमे मिथिलेश उर्फ नटवरलाल ने छोटी उम्र से ही धोखाझूठ- फरेब व ठगी में शातिरपना दिखाना प्रारंभ कर दिया था।
एक महाठग, दुर्दांत अपराधी की कलंक कथा, जो पाठकों को उसके कुकृत्यों, लिप्सा और पतन के काले कारनामों से परिचित करवाएगी।"
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।
हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं—मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।