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महात्मा बुद्ध ने नश्वर संसार के ताप-कष्टों को दूर करने तथा जीवन का रहस्य जानने के लिए गृहत्याग किया और लंबे समय तक काया-कष्ट सहकर ज्ञान प्राप्त किया; उन्हें जीव-जगत् का बोध हुआ, इसलिए वे ‘बौद्ध’ कहलाए। उन्होंने मानवता को अहिंसा का उपदेश दिया।
कोई गूढ़ या ज्ञान की बात कितनी भी सरल भाषा में कही जाए, तो भी संपूर्ण समझ में नहीं आ पाती है; लेकिन उसे कहानी का रूप दे दिया जाए तो वह सहज ही हमेशा के लिए याद हो जाती है। महात्मा बुद्ध की ये कहानियाँ ऐसी ही हैं। इसमें उनके जीवन की घटनाओं तथा शिक्षाओं को सीधी-सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से बताया गया है। ये छोटी-छोटी कहानियाँ अपने आप में अलग-अलग हैं और एक-दूसरी से जुड़ी हुई भी। लेकिन फिर भी कथा- रस से भरपूर हैं।
इस संकलन में संकलित अहिंसा, सदाचार, परोपकार और मानवीय मूल्यों को बतानेवाली रोचक-प्रेरक कहानियों का पठनीय संकलन।
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अनुक्रम | |
भूमिका — 5 | 47. बुद्ध ने सेठ को — ज्ञान दिया — 77 |
परमार्थ समर्पित व्यक्तित्व — 7 | 48. बुद्ध और अछूत — लड़की — 78 |
लेखक की ओर से — 9 | 49. फटेहाल व्यक्ति को — सुखी बताया — 79 |
1. बुद्ध का ज्ञान — 15 | 50. शिष्य को धैर्य सिखाया — 81 |
2. बुद्ध का उपदेश — 19 | 51. मानव का धर्म है — ‘विवेकी’ बनना — 82 |
3. अहिंसा परमो धर्मः — 21 | 52. शिष्य को अनूठी — सीख दी — 83 |
4. बुद्ध की प्रेरणा — 23 | 53. बुद्ध ने मिठाई खाई — 85 |
5. बुद्ध का ग्रंथ — 24 | 54. बुद्ध का शिष्य — अनाथ पिंडक — 86 |
6. बुद्ध का उत्तर — 25 | 55. बुद्ध का वैराग्य — 89 |
7. बुद्ध ने समझाया — 26 | 56. बुद्ध ने सुभद्र को — शिक्षा दी — 91 |
8. बुद्ध का शिष्य — 27 | 57. अनमोल वचन — 93 |
9. बुद्ध की सहनशीलता — 28 | 58. बुद्ध का — आत्म-साक्षात्कार — 95 |
10. बुद्ध और अंगुलिमाल — 29 | 59. बौद्ध धर्म — 106 |
11. बुद्ध की मूर्ति — 30 | 60. त्रिपिटकों का — संकलन — 108 |
12. बुद्ध और राजकुमार — 32 | 61. प्रतीत्य समुत्पाद — 110 |
13. उपदेश से कर्म श्रेष्ठ है — 34 | 62. बौद्ध धर्म में कर्म — 112 |
14. बुद्ध का आशीर्वाद — 35 | 63. बौद्ध धर्म में निर्वाण — 116 |
15. बुद्ध का प्रेम — 37 | 64. बौद्ध धर्म में आत्मा — 117 |
16. बुद्ध और आम्रपाली — 38 | 65. बौद्ध धर्म का दर्शन — 118 |
17. बुद्ध का आदेश — 40 | 66. बौद्ध धर्म में भक्ति — 121 |
18. सच्चा समर्पण — 42 | 67. बौद्ध धर्म के पर्व — 123 |
19. बुद्ध की दृष्टि — 43 | 68. धम्मपद — 125 |
20. एक भिक्षु और ब्राह्मण — 45 | 69. बुद्ध ने कहा-सबका — हित करो — 137 |
21. ज्ञान और कर्म — 46 | 70. बुद्ध ने युवक को सत्संग — का महत्त्व समझाया — 138 |
22. बुद्ध की शिक्षा — 47 | 71. बुद्ध की शिक्षा से मेहनत — सफल हुई — 140 |
23. बुद्ध ने जूठा — आम खाया — 48 | 72. बुद्ध के ज्ञान से सेठ ने — पाया सुख — 141 |
24. क्रोध के सामने — शांत-भाव रखें — 49 | 73. बुद्ध की शिक्षा से गाँव — का उद्धार हुआ — 142 |
25. बुद्ध ने सेवा का — संदेश दिया — 50 | 74. महात्मा बुद्ध ने दोनों — भाइयों को सुधारा — 143 |
26. जब बुद्ध महात्मा — बन गए — 51 | 75. सेठ ने बुद्ध से जाना — सच्चा संपन्न होना — 144 |
27. व्यक्ति कर्म से महान् — बनता है — 52 | 76. राजकुमार ने जानी — कर्म की महत्ता — 146 |
28. जीवन का संतुलन — आवश्यक है — 53 | 77. परमात्मा समभाव में — घटी अनुभूति — 147 |
29. मैं आत्म-विजय का — पथिक हूँ — 54 | 78. बुद्ध ने बताया शांति पाने — का उपाय — 148 |
30. कौन-कौन मोक्ष — चाहता है? — 55 | 79. दान में नहीं होना चाहिए — अहंकार — 150 |
31. बुद्ध ने आनंद को — नियुक्त किया — 56 | 80. अशोक सिद्ध हुए सच्चे — उत्तराधिकारी — 151 |
32. एक भिक्षु ने राजा को — ज्ञान दिया — 57 | 81. ज्ञान की सार्थकता — 153 |
33. आत्म-साक्षात्कार — आवश्यक है — 58 | 82. सम्यक्-ज्ञान — 154 |
34. बुद्ध का समत्व भाव — 59 | 83. मौन रहने का महत्त्व — 156 |
35. बुद्ध पुनः साधना में — लग गए — 60 | 84. बुद्ध ने संयम — सिखाया — 157 |
36. बुद्ध से यक्ष ने — क्षमा माँगी — 62 | 85. सत्य की प्राप्ति में ही — स्थायी सुख है — 158 |
37. एक क्रोधी ने बौद्ध — धर्म अपनाया — 63 | 86. अशोक के भीतर का — इनसान जाग उठा — 160 |
38. बौद्ध भिक्षु और — विशाखा — 64 | 87. गौतम बुद्ध ने दी प्रेम में — संयम की सीख — 162 |
39. ज्ञान को सावधानी से — सुनना चाहिए — 65 | 88. गौतम बुद्ध ने दिया — एकता का संदेश — 163 |
40. बुद्ध ने संयम सिखाया — 66 | 89. जीवनहंता पराजित हुआ — जीवनदाता से — 165 |
41. सिद्धार्थ ने मौन का — महत्त्व समझाया — 67 | 90. दुनिया के अंत से — परमेश्वर का आरंभ — 167 |
42. बुद्ध का आत्म- — नियंत्रण — 68 | 91. बुद्ध ने दिखाया तथागत — होने का मार्ग — 168 |
43. सम्राट् अशोक — और बुद्ध — 70 | 92. गौतम बुद्ध का ज्ञान — 169 |
44. सदैव अपनी आँखें — खुली रखो — 71 | 93. बुद्ध ने बताया जीवन का — सही अर्थ — 170 |
45. बुद्ध की एकाग्रता — 72 | 94. भगवान् बुद्ध ने गाँववालों — को उपदेश दिया — 171 |
46. बुद्ध का भिक्षु और — वासवदंता — 74 | 95. बौद्ध-भिक्षुओं की — जिज्ञासा — 175 |
भरतलाल शर्मा ऋषियों के ज्ञान को सरल एवं सुबोध शब्दों में जन-जन में प्रसारित कर रहे हैं। वे स्वयं ईश्वरीय वातावरण में रहते हैं। भौतिक स्तर पर अब उनकी कोई कामना नहीं रह गई है। उनकी आवश्यकताएँ कम हैं। वे आत्म-संतुष्ट हैं और ईश्वरीय प्रेरणा पर ईश्वरीय ज्ञान को फैलाने में परम आनंद का अनुभव करते हैं।
डॉ. शर्मा ने देश भर में भ्रमण करके अपने श्रोताओं को अपनी वाणी और ज्ञान से प्रभावित किया है। उन्होंने लंदन, हांगकांग, क्वालालमपुर, सिंगापुर आदि विदेशी महानगरों में भी आध्यात्मिक जिज्ञासुओं को अपने उपदेशों से आनंदित एवं आलोकित किया है। उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनका सर्वत्र स्वागत हुआ है।