₹400
भारतीय संस्कृति में नारी को एक महान् शक्ति के रूप में आदर-सम्मान दिया जाता रहा है। वैदिक काल में इस देवभूमि की नारी सामाजिक-धार्मिक व आध्यात्मिक क्षेत्रों में पुरुष की सहभागिनी रहती थी।
महिलाओं को भारतवर्ष में कानून-प्रदत्त तमाम अधिकार प्राप्त हैं। महिलाओं को घरेलू मामलों संबंधी, जायदाद संबंधी, कार्यक्षेत्र संबंधी, व्यक्तिगत सुरक्षा-संरक्षण संबंधी, पंचायती राज व्यवस्था में भागीदारी संबंधी और भी तमाम हितकारी कानूनों का संरक्षण प्राप्त है; लेकिन परिवार व रिश्तों को सँजोने-सँवारने का महत्त्वपूर्ण दायित्व निभानेवाली आम महिला आज भी अपने अधिकारों से वंचित है। जागरूकता व शिक्षा के अभाव में आम महिला के साथ पारिवारिक स्तर पर सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है।
‘महिला अधिकार और मानव अधिकार’ महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य की प्रतिपूर्ति हेतु सृजित की गई है। क्योंकि जानकारी और जागरूकता के अभाव में हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते।
आशा है, कामकाजी महिलाओं सहित गृहिणियों, व्यवसायी एवं तरक्कीपसंद महिलाओं के लिए भी यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी।
ममता मेहरोत्रा
शिक्षा : एम.एस-सी. (प्राणी विज्ञान)।
कृतित्व : ‘अपना घर’, ‘सफर’, ‘धुआँ-धुआँ है जिंदगी’ (लघुकथा-संग्रह), ‘महिला अधिकार और मानव अधिकार’, ‘शिक्षा के साथ प्रयोग’, ‘विद्यार्थियों के लिए टाइम मैनेजमेंट’, ‘विश्वासघात तथा अन्य कहानियाँ’, ‘जयप्रकाश तुम लौट आओ’ तथा अंग्रेजी में ‘We Women’, ‘Gender Inequality in India’, ‘Crimes Against Women in India’, ‘Relationship & Other Stories’ & ‘School Time Jokes’ पुस्तकें प्रकाशित। RTE Act पर लिखी पुस्तक ‘शिक्षा का अधिकार’ काफी प्रसिद्ध हुई और अनेक राज्य सरकारों ने इस पुस्तक को क्रय किया है। उनकी पुस्तकें मैथिली में भी प्रकाशित हो चुकी हैं। कुछ संक्षिप्त डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का भी निर्माण किया है।
‘सामयिक परिवेश’ एवं ‘खबर पालिका’ पत्रिकाओं का संपादन। अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं से संबद्ध।
संप्रति : निशक्त बाल शिक्षा एवं महिला अधिकारों से संबंधित कार्यों में संलग्न।