₹350
संसार को आध्यात्मिकता, राष्ट्र को राजनीतिक चेतना तथा समाज को समन्वय की संस्कृति का ज्ञान देकर जिसने हमारे सांस्कृतिक इतिहास तथा राजनीतिक चिंतनधारा को सबसे अधिक अलंकृत किया, उस व्यक्तित्व का नाम है—महर्षि अरविंद घोष। अरविंद ने भारत की आराधना माता के समान की। भारतमाता को स्वाधीन कराने के लिए उन्होंने निरंतर संघर्ष किया। भारत की स्वतंत्रता के माध्यम से वे विश्व-मानवता की सेवा करना चाहते थे। भारतीय स्वतंत्रता के संदर्भ में उन्होंने कहा था—‘किसी भी राष्ट्र के सुस्वास्थ्य तथा जीवंतता के लिए स्वतंत्रता पहली आवश्यकता है।’
राष्ट्रवाद को उन्होंने राष्ट्र तथा नागरिकों के लिए वरदान माना। उनका मत था कि स्वराज्य के बिना राष्ट्र समान है। अरविंद मूलत: अध्यात्म-पुरुष थे। वे प्रकांड पांडित्य और गहन अंतर्दृष्टि के व्यक्ति थे।
ऐसे क्रांतिकारी विचारक, महान् योगी, विश्व-मानवता के उन्नायक, आध्यात्मिक महापुरुष महर्षि अरविंद घोष की चिंतनधारा से परिचित कराने के संकल्प के साथ यह संकलन प्रस्तुत है।
______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
विषय-क्रम | भगवत्प्रेम —Pgs. 79 |
अध्यात्म-पुरुष —Pgs. 7 | भगवान् —Pgs. 79 |
युगद्रष्टा श्रीअरविंद घोष —Pgs. 9 | भय —Pgs. 80 |
मैं अरविंद बोल रहा हूँ —Pgs. 23 | भविष्य —Pgs. 81 |
अंग्रेजी शिक्षा —Pgs. 23 | भागवत सत्य —Pgs. 81 |
अंतःप्रेरणा —Pgs. 23 | भाग्य —Pgs. 81 |
अंतरात्मा —Pgs. 24 | भारत —Pgs. 82 |
अंतरराष्ट्रीयता —Pgs. 24 | भारत का लक्ष्य —Pgs. 83 |
अखंडता की भावना —Pgs. 24 | भारतवासी —Pgs. 83 |
अचंचल मन —Pgs. 24 | भारतीय —Pgs. 84 |
अचंचलता —Pgs. 25 | भारतीय आत्मा —Pgs. 84 |
अच्छाई-बुराई —Pgs. 25 | भारतीय आदर्श —Pgs. 84 |
अज्ञान —Pgs. 25 | भारतीय एकता —Pgs. 85 |
अतिमानव —Pgs. 26 | भारतीय कला —Pgs. 85 |
अतीत —Pgs. 26 | भारतीय जनतंत्र —Pgs. 86 |
अतीत की विरासत —Pgs. 27 | भारतीय जीवन —Pgs. 86 |
अतीत संस्कृति —Pgs. 27 | भारतीय धर्म —Pgs. 86 |
अत्युक्ति —Pgs. 27 | भारतीय राजा —Pgs. 87 |
अद्वैतवाद —Pgs. 27 | भारतीय शासन-तंत्र —Pgs. 87 |
अध्ययन —Pgs. 27 | भारतीय संस्कृति —Pgs. 88 |
अनुभूति —Pgs. 28 | भारतीय सभ्यता —Pgs. 89 |
अनुशासन —Pgs. 28 | भारतीय साहित्य —Pgs. 91 |
अपने विषय में —Pgs. 28 | भारवि व माघ —Pgs. 91 |
अभीप्सा —Pgs. 29 | भाव-प्रकाशन —Pgs. 92 |
अवचेतन —Pgs. 29 | भाषा —Pgs. 92 |
अवतार —Pgs. 30 | भूल —Pgs. 93 |
अवसाद —Pgs. 30 | भोजन —Pgs. 93 |
असफलता —Pgs. 30 | मंत्र —Pgs. 93 |
अहंकार —Pgs. 31 | मधुरता —Pgs. 93 |
अहंभाव —Pgs. 32 | मन —Pgs. 94 |
आत्मत्याग —Pgs. 33 | मनुष्य —Pgs. 96 |
आत्मबल —Pgs. 33 | महत्त्वाकांक्षा —Pgs. 98 |
आत्मविजय —Pgs. 33 | महाकाली और काली —Pgs. 98 |
आत्मविश्वास —Pgs. 33 | महान् संत —Pgs. 98 |
आत्म-विस्तार —Pgs. 33 | महाभारत —Pgs. 98 |
आत्मसमर्पण —Pgs. 34 | महाभारत-रामायण —Pgs. 99 |
आत्मसम्मान —Pgs. 34 | माघ —Pgs. 99 |
आत्मा —Pgs. 35 | मान-अभिमान —Pgs. 99 |
आदर्श —Pgs. 36 | मानव —Pgs. 99 |
आधुनिक मनुष्य —Pgs. 36 | मानव-जीवन —Pgs. 100 |
आध्यात्मिकता —Pgs. 37 | मानवता —Pgs. 100 |
आर्थिक हित —Pgs. 37 | मानव-प्रकृति —Pgs. 100 |
आलोचना का अधिकार —Pgs. 37 | मानव-प्रगति —Pgs. 100 |
इच्छा —Pgs. 38 | मानव प्रेम —Pgs. 101 |
ईश्वर —Pgs. 38 | मानव हृदय —Pgs. 101 |
ईश्वर-आराधना —Pgs. 38 | मानसिक ज्ञान —Pgs. 101 |
ईश्वर के प्रति चाह —Pgs. 38 | माया —Pgs. 101 |
ईर्ष्या —Pgs. 39 | मूर्तिपूजा —Pgs. 101 |
ईसाई धर्म —Pgs. 39 | मृत्यु —Pgs. 102 |
उत्साह —Pgs. 39 | मैत्री —Pgs. 102 |
उपनिषद् —Pgs. 39 | मोक्ष —Pgs. 103 |
ऋषि —Pgs. 40 | मौन —Pgs. 103 |
एकता —Pgs. 41 | मौनव्रत —Pgs. 103 |
एकरूपता —Pgs. 41 | युक्तिवाद —Pgs. 103 |
एकाग्रता —Pgs. 41 | युद्ध —Pgs. 103 |
कठिनाइयाँ —Pgs. 42 | यूरोपीय संस्कृति —Pgs. 104 |
कर्म —Pgs. 42 | योग —Pgs. 104 |
कर्मफल —Pgs. 45 | योग का आदर्श —Pgs. 105 |
कला —Pgs. 45 | योग-साधना —Pgs. 105 |
कवि —Pgs. 45 | यौन आकर्षण —Pgs. 105 |
कष्ट —Pgs. 46 | राग-द्वेष —Pgs. 106 |
कामना —Pgs. 46 | राजनीति —Pgs. 106 |
कामवृत्ति —Pgs. 47 | राजनीतिक एकता —Pgs. 106 |
कालिदास —Pgs. 47 | राजसिक अहंकार —Pgs. 106 |
कालिदास : रघुवंश महाकाव्य —Pgs. 49 | राजसिक कर्म —Pgs. 107 |
काव्य व अध्ययन —Pgs. 49 | राजा —Pgs. 107 |
कृत्रिमता —Pgs. 49 | राज्य —Pgs. 107 |
कौमार्य —Pgs. 49 | राज्य और व्यक्ति —Pgs. 108 |
क्रोध —Pgs. 49 | रामायण —Pgs. 108 |
गपशप —Pgs. 50 | राष्ट्र —Pgs. 109 |
गलत —Pgs. 50 | राष्ट्र धर्म —Pgs. 110 |
गीता —Pgs. 50 | राष्ट्रीयता —Pgs. 110 |
गुरु —Pgs. 51 | राष्ट्रीय भाव —Pgs. 110 |
गृध्रसी —Pgs. 52 | रोग —Pgs. 111 |
घृणा —Pgs. 52 | लेखन और अध्ययन —Pgs. 111 |
चरित्र —Pgs. 53 | वंश-परंपरा —Pgs. 111 |
चितरंजन दास —Pgs. 53 | वर्ण-व्यवस्था —Pgs. 112 |
चित्रकार —Pgs. 53 | विकास —Pgs. 112 |
चेतना —Pgs. 53 | विचार —Pgs. 113 |
चेत्यीकरण —Pgs. 54 | विज्ञान —Pgs. 113 |
जाति —Pgs. 54 | विधान —Pgs. 113 |
जीवन —Pgs. 55 | विधि —Pgs. 113 |
जीवन-कला —Pgs. 55 | विरह —Pgs. 114 |
ज्ञान —Pgs. 56 | विश्व-प्रेम —Pgs. 114 |
तमस —Pgs. 56 | विश्व-राज्य —Pgs. 115 |
तर्क —Pgs. 56 | विषाद —Pgs. 115 |
तर्कबुद्धि —Pgs. 56 | वेद —Pgs. 115 |
तर्क विचार —Pgs. 57 | वेशभूषा —Pgs. 115 |
तर्कशास्त्र —Pgs. 57 | वैदिक धर्म —Pgs. 116 |
ताजमहल —Pgs. 57 | वैदिक शिक्षा —Pgs. 116 |
तामसिक अहंकार —Pgs. 57 | वैयक्तिक विकास —Pgs. 116 |
तामसिक कर्म —Pgs. 58 | वैराग्य —Pgs. 117 |
त्याग —Pgs. 58 | व्यवस्था —Pgs. 117 |
दंड —Pgs. 58 | शक्ति —Pgs. 117 |
दमन —Pgs. 58 | शांति —Pgs. 118 |
दिव्य जीवन —Pgs. 59 | शिक्षा —Pgs. 119 |
दुःख —Pgs. 59 | शुभ और अशुभ —Pgs. 119 |
दुःख-क्लेश —Pgs. 59 | शून्यता —Pgs. 120 |
दुःखजय —Pgs. 60 | श्रद्धा —Pgs. 120 |
दुर्बलता पर ध्यान दें —Pgs. 60 | श्रद्धा और विश्वास —Pgs. 122 |
देश —Pgs. 60 | श्रद्धा और साहस —Pgs. 122 |
देश-भक्ति —Pgs. 60 | श्री माँ —Pgs. 122 |
देश-सेवा —Pgs. 61 | संकल्प —Pgs. 123 |
दोष —Pgs. 61 | संघर्ष —Pgs. 124 |
दोष-चर्चा —Pgs. 61 | संदेह —Pgs. 124 |
दोषारोपण —Pgs. 62 | संभोग —Pgs. 125 |
धर्म —Pgs. 62 | संस्कृत साहित्य —Pgs. 125 |
धैर्य —Pgs. 63 | संस्कृति —Pgs. 126 |
निग्रह —Pgs. 63 | संस्कृति और सभ्यता —Pgs. 127 |
निद्रा —Pgs. 64 | संस्कृति : भारतीय/पाश्चात्य —Pgs. 127 |
नियम —Pgs. 64 | सच्चाई —Pgs. 128 |
नियमित —Pgs. 64 | सत्य —Pgs. 128 |
निर्गुण —Pgs. 64 | सत्यता —Pgs. 128 |
निर्बलता —Pgs. 65 | सदाचारी —Pgs. 128 |
निर्विकल्प समाधि —Pgs. 65 | सनातन धर्म —Pgs. 129 |
निवृत्ति —Pgs. 65 | सभ्यता —Pgs. 129 |
न्याय —Pgs. 65 | समझ —Pgs. 129 |
पत्र —Pgs. 66 | समझौता —Pgs. 129 |
परतंत्रता —Pgs. 66 | समता —Pgs. 129 |
परिवर्तन —Pgs. 66 | समर्पण —Pgs. 131 |
पवित्र मन —Pgs. 66 | समष्टि-बोध —Pgs. 131 |
पवित्रता —Pgs. 66 | समस्याएँ —Pgs. 131 |
पश्चिमी आदर्श —Pgs. 67 | समाज —Pgs. 132 |
पुनर्जन्म और कर्म का सिद्धांत —Pgs. 67 | समुदाय —Pgs. 133 |
पुरस्कार —Pgs. 67 | समूहवादी आदर्श —Pgs. 133 |
पुराण —Pgs. 68 | सहायता —Pgs. 133 |
पूर्ण स्वराज —Pgs. 68 | सांसारिक जीवन —Pgs. 134 |
प्रकृति —Pgs. 69 | साक्षात्कार —Pgs. 134 |
प्रकृति वस्तु —Pgs. 70 | सात्त्विक अहंकार —Pgs. 134 |
प्रगति —Pgs. 70 | सात्त्विक कर्म —Pgs. 135 |
प्रतिमा —Pgs. 70 | साधना —Pgs. 135 |
प्रतीक —Pgs. 71 | साहित्य —Pgs. 136 |
प्रयास —Pgs. 71 | साहित्य और कला —Pgs. 136 |
प्रशंसा —Pgs. 71 | साहित्यिक —Pgs. 137 |
प्रचीन शिक्षा —Pgs. 71 | सिपाही —Pgs. 137 |
प्राच्य और पाश्चात्य —Pgs. 72 | सुख —Pgs. 137 |
प्राण —Pgs. 72 | सुख और दुःख —Pgs. 138 |
प्रेम —Pgs. 72 | सुभाषित —Pgs. 138 |
प्रेम-घृणा —Pgs. 73 | सेवक —Pgs. 138 |
प्रेम-भक्ति —Pgs. 73 | स्वतंत्र —Pgs. 138 |
बल-प्रयोग —Pgs. 74 | स्वंत्रता —Pgs. 139 |
बाधा —Pgs. 74 | स्वदेश प्रेमी —Pgs. 139 |
बुद्धि —Pgs. 74 | स्वधर्म —Pgs. 139 |
बुराई —Pgs. 76 | स्वराज्य के आदर्श —Pgs. 139 |
बुराई का प्रतिकार —Pgs. 76 | स्वस्थ —Pgs. 140 |
बौद्ध और हिंदू-धर्म —Pgs. 77 | स्वाधीनता —Pgs. 140 |
बौद्ध-धर्म —Pgs. 77 | स्वार्थपरता —Pgs. 140 |
ब्रह्म —Pgs. 77 | हिंदू-धर्म —Pgs. 141 |
ब्रह्मचर्य —Pgs. 78 | हिटलर —Pgs. 142 |
भक्ति —Pgs. 78 | विविध —Pgs. 142 |
भगवती माता —Pgs. 79 |