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विलक्षण प्रतिभा के धनी पूर्व प्रधानमंत्री जननायक अटल बिहारी वाजपेयी को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारतरत्न’ से सम्मानित किया गया। उनके बहुआयामी व्यक्तित्व और कृतित्व का स्मरण आना अत्यंत सहज और स्वाभाविक है। वे न केवल मंत्रमुग्ध कर देनेवाले वक्ता और कुशल प्रशासक रहे, अपितु अपने राजनीतिक विरोधियों का भी सम्मान करनेवाले और उनसे सम्मान पानेवाले नेता हैं।
प्रस्तुत पुस्तक को तीन खंडों में विभाजित कर पाठकों के लिए उपयुक्त और सरल ढंग से पाठ्य-सामग्री को समायोजित करने का प्रयास किया गया है। खंड-1 में अटलजी का ‘संक्षिप्त परिचय’ और अटलजी के प्रधानमंत्रित्व काल में उनके मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडनजी द्वारा वाजपेयीजी की कार्यशैली पर लिखा गया लेख दिया गया है। खंड-2 में वाजपेयीजी ने विभिन्न अवसरों पर सदन में, सदन से बाहर अथवा समाचार-पत्रों आदि में जो लिखा, उसके आधार पर ‘मैं अटल बिहारी वाजपेयी बोल रहा हूँ’ दिया गया है। खंड-3 में अटलजी को ‘भारतरत्न’ मिलने पर प्रतिक्रियाएँ प्रस्तुत की गई हैं। मुख्यतः पुस्तक का खंड-2 ही इसका शीर्षक ‘मैं अटल बिहारी वाजपेयी बोल रहा हूँ’ है, जबकि अन्य दोनों खंड अटलजी को समझने, उन्हें आत्मसात् करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
सर्वप्रिय कविहृदय अटलजी के स्पष्ट विचार, दूरदर्शिता, चुटीली शैली और मर्म को छू लेनेवाली ओजस्वी वाणी के विशाल सागर की एक झलक मात्र देती है यह पठनीय पुस्तक।
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अनुक्रम | |
कृतित्व ही व्यतित्व—5 | 106. मतदान निखारना होगा—86 |
खंड-1 | 107. मतदाता सूचियाँ शुद्ध हों —87 |
संक्षिप्त परिचय | 108. मन हारकर मैदान नहीं जीते जाते—87 |
भारतीय राजनीति के इतिहास-पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी—15 | 109. महिलाएँ नारकीय जीवन जी रही हैं—87 |
‘‘वाजपेयी साहब, पाकिस्तान में भी चुनाव जीत सकते हैं...’’—26 | 110. मैं एक बिंदु, परिपूर्ण सिंधु—88 |
1. अंग्रेजी लादी नहीं जाएगी—33 | 111. मिलावट रोकना बहुत जरूरी—88 |
2. अखंड भारत का सपना—33 | 112. मुय न्यायाधीश की नियुति—89 |
3. असम की समस्या—34 | 113. मूल्य-वृद्धि का संकट—89 |
4. अखंडता और सुरक्षा के लिए—35 | 114. मूल में असत्य है—90 |
5. अनाप-शनाप मुनाफा बंद हो—35 | 115. मूल्यों का संकट—90 |
6. अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद—35 | 116. तस्करी अवैध विदेशी व्यापार—90 |
7. अनुच्छेद-370—36 | 117. त्रिभाषा फॉर्मूला चलाएँ—91 |
8. अनिवासी भारतीय—37 | 118. तिबत को स्वायाता मिले—92 |
9. अविश्वास का राष्ट्रीय संकट—37 | 119. तिबत एक स्वतंत्र देश—92 |
10. अन्नदाता सुखी भव—37 | 120. दरवाजे खुले हैं—93 |
11. अस्पृश्यता एक कलंक—38 | 121. दहेज प्रथा—93 |
12. अस्पृश्यता निर्मूलन—38 | 122. दलितों का आर्थिक पहलू भी देखना जरूरी—94 |
13. अस्पृश्यता—39 | 123. दिलों को भी जोड़ना चाहिए—95 |
14. आतंकवाद का उन्मूलन—39 | 124. देश ससिडी से नहीं चल सकता—95 |
15. आतंकवाद की विभीषिका—39 | 125. धर्म पर चलो—95 |
16. आतंकवादी क्रांतिकारी नहीं—40 | 126. धर्म सद्बुद्धि देता है—96 |
17. आपसी सहयोग के प्रति वचनबद्ध—41 | 127. धारा 370 को समाप्त किया जाए—96 |
18. आधारभूत बात में परिवर्तन नहीं—41 | 128. नसलबाड़ी लोकतंत्र के लिए खतरा—97 |
19. आणविक शस्त्रों की दौड़—42 | 129. नसलवाद एक गंभीर खतरा—98 |
20. आम सहमति आवश्यक—42 | 130. नजरबंदी कानून का राजनीतिक दुरुपयोग—98 |
21. आज वह दिन आ गया है—43 | 131. नजरबंदी कानून लोकतंत्र पर कुठाराघात—99 |
22. आयुर्वेद—जीवन का विज्ञान—43 | 132. नई टेनोलॉजी—99 |
23. इस भूखंड को बड़ी शतियों से मुत रखना है—44 | 133. नारे से गरीबी हटाना संभव नहीं—100 |
24. इस संकट की घड़ी में—45 | 134. निर्भरता खतरनाक है—100 |
25. इस देश की परंपरा है—45 | 135. नेता निष्कलंक हो—101 |
26. इस देश में सामर्थ्य है—46 | 136. नियंत्रण का परिणाम—102 |
27. ईमानदारी से हो गठबंधन—46 | 137. न्यायपालिका गणतंत्र का आधार—102 |
28. ईमानदारी ऊपर तक हो—47 | 138. न्यायपालिका की स्वाधीनता—102 |
29. ईश्वर के विधान के विरुद्ध—47 | 139. न्यायपालिका स्वतंत्र और निष्पक्ष हो—103 |
30. उर्दू केवल मुसलमानों की भाषा नहीं—48 | 140. युद्ध जीतने का आसान तरीका—103 |
31. एक मनोवैज्ञानिक दीवार—48 | 141. यह कसौटी का काल है—104 |
32. एकीकरण का प्रश्न—49 | 142. योजना की सफलता के लिए—104 |
33. एंग्लो-अमेरिकन चुनाव पद्धति संशोधनीय—50 | 143. युद्ध कोई नहीं चाहता—105 |
34. एक सामाजिक क्रांति की आवश्यकता—50 | 144. याद करें बहरे शासन को—106 |
35. ऐसा राज्य चाहिए—51 | 145. राइट टू रिकॉल—106 |
36. ऐसा पाठ पढ़ाएँ—51 | 146. राजपथ पर भीड़—108 |
37. ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत्—52 | 147. राज्यपाल के अधिकार—108 |
38. कमिश्नर फॉर शेड्यूल्ड कास्ट ऐंड शेड्यूल्ड ट्राइस—52 | 148. राजनीति मुझे नहीं छोड़ती—109 |
39. कश्मीर और भारतीय संविधान—53 | 149. राष्ट्रव्यापी अभियान की आवश्यकता—109 |
40. कश्मीर समस्या—54 | 150. राष्ट्र की सफलता—110 |
41. कश्मीर भारत का अभिन्न अंग—54 | 151. राष्ट्र का सैनिकीकरण हो—110 |
42. कश्मीर भारतमाता का किरीट—55 | 152. राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि—111 |
43. कालाधन सफेद बनाने की कोशिश—56 | 153. राष्ट्रीय एजेंडा—111 |
44. कोर्ट और एग्जीयूटिव—56 | 154. राष्ट्रीय विषय—112 |
45. खाद्य उत्पादन की योजना—57 | 155. राष्ट्रपति कश्मीर का सजेट नहीं—112 |
46. गुटनिरपेक्षता की नीति—57 | 156. रोजगार का अधिकार मूलभूत अधिकार हो—113 |
47. गुटनिरपेक्ष आंदोलन—58 | 157. रोना, भूखों मरना—113 |
48. गोधरा का जवाब अहमदाबाद नहीं—58 | 158. लाभ आम आदमी तक नहीं पहुँचता—114 |
49. चित भी मेरी पट भी मेरी—59 | 159. लिया हाथ में ध्वज—114 |
50. चीनी पर उत्पादन शुल्क—59 | 160. लोकशाही का दीप जलाए रखा—115 |
51. चीफ इलेशन कमिश्नर की नियुति—59 | 161. लोकपाल का संगठन—115 |
52. चीन की हिम्मत जवाब दे गई—61 | 162. लोकतंत्र अमर रहेगा—116 |
53. चीन के इरादों से परिचित कराएँ—61 | 163. लोकतंत्र—116 |
54. चुनाव और लोकतंत्र—62 | 164. लोकतंत्र पर आघात न लगे—116 |
55. चुनाव का खर्चा—62 | 165. लोकतंत्र और सेना—117 |
56. चुनाव कानून में संशोधन—63 | 166. लोकतंत्र का आधार है चुनाव—117 |
57. चुनाव आयोग—63 | 167. लोकतांत्रिक आदर्शों में निष्ठा हो—118 |
58. चेतावनी देना चाहता हूँ—64 | 168. वितरण की त्रुटियाँ—119 |
59. छोटे उद्योग और रोजगार—64 | 169. विदेश और गृह-नीति सुरक्षा से भिन्न नहीं—119 |
60. जजों की नियुति—65 | 170. विषमता घटानी है तो—119 |
61. जम्मू-कश्मीर पर पाक का या हक—66 | 171. विदेश नीति का मूल आधार—120 |
62. जम्मू-कश्मीर में प्रशासनिक दृढ़ता-दक्षता जरूरी—66 | 172. वैश्विक निरस्त्रीकरण के लिए प्रतिबद्ध—120 |
63. जम्मू-कश्मीर के बारे में पाँच माँगें—67 | 173. वोट का अधिकार—121 |
64. जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग—68 | 174. सतत जागरण आवश्यक—121 |
65. जातिवाद का जहर—68 | 175. सत्य एक है—122 |
66. जीवन बीत चला—69 | 176. सभी प्रांतीय भाषाएँ, हमारी भाषाएँ—122 |
67. जी.एस.एल.वी. का प्रक्षेपण—69 | 177. समरसता का अर्थ—123 |
68. परमात्मा भी अगर कहे—70 | 178. सरकार ध्यान रखे—123 |
69. परमाणु कार्यक्रम पर रोक स्वीकार्य नहीं—70 | 179. सरकार, संविधान और सुप्रीम कोर्ट—124 |
70. परमाणु विस्फोट आत्मरक्षा हेतु—71 | 180. सरकार और सी.बी.आई. 125 |
71. परमाणु हथियार— एक अक्षय निधि—71 | 181. संविधान सर्वोच्च है—125 |
72. पड़ोसियों से संबंध—72 | 182. संकटकाल के अनुरूप आचरण—125 |
73. परिचय-पत्र—72 | 183. संकटकाल की स्थिति—126 |
74. परदादारी की जरूरत नहीं—72 | 184. सांसदों का आचरण और चुनाव परिणाम—128 |
75. प्रदेशव्यापी नहीं, देशव्यापी संकट—73 | 185. सांप्रदायिकता का निराकरण—128 |
76. प्रयोजन सिद्ध न होगा—73 | 186. सांप्रदायिकता के विरुद्ध—129 |
77. पानी की समस्या—74 | 187. सांप्रदायिक रूप से सेना का विभाजन समाप्त हो—129 |
78. पुरस्कार और तिरस्कार—74 | 188. सियूरिटी फोर्सेज पर अविश्वास—130 |
79. पुलिस और सेना—75 | 189. सी.टी.बी.टी. की अस्वीकार्यता—130 |
80. प्रेस की स्वतंत्रता—75 | 190. सुरक्षा मंत्रालय जिम्मेदार—131 |
81. फंडामेंटल राइट्स और डायरेटिव प्रिंसिपल्स—75 | 191. सुरक्षा को मजबूत करना जरूरी—132 |
82. फसल बीमा योजना का विस्तार—76 | 192. सुरक्षा नीति को विदेश नीति का संबल चाहिए—132 |
83. फर्टिलाइजर के दाम ज्यादा हैं—76 | 193. सहकारिता का जाल फैले—133 |
84. बंगाल की जनता पर विश्वास होना चाहिए—77 | 194. सेना और पुलिस अपना-अपना काम करें—133 |
85. बलिदानों की वेला आई—78 | 195. सेना को सिविलियन काम में लाना खतरनाक—133 |
86. बिना परीक्षण हथियार बनाने में सक्षम—78 | 196. सेना हमारी राष्ट्रीय सेना है —134 |
87. बुनियादी तथ्यों को समझना होगा—78 | 197. सेना शत-प्रतिशत भारतीय बने—135 |
88. भ्रष्टाचार—79 | 198. सोवियत रूस की मित्रता—135 |
89. भ्रष्टाचार : एक राष्ट्रीय रोग—79 | 199. सोना लाने की इजाजत दी जाए—135 |
90. भ्रष्टाचार का निराकरण—80 | 200. शिक्षक आर्थिक प्रश्नों में उलझे हुए—136 |
91. भ्रष्टाचार को निकालना है तो... 80 | 201. हम सभी एक नस्ल के—136 |
92. भ्रष्टाचार के साथ समझौता नहीं—80 | 202. हम पड़ाव को समझे मंजिल—137 |
93. भारत-पाकिस्तान पड़ोसी—81 | 203. हम हथियारों की दौड़ में शामिल नहीं—137 |
94. भारत का प्रबुद्ध मतदाता—81 | 204. हम हथियार खरीदना नहीं चाहते—138 |
95. भारत भविष्य-निर्माण के द्वार पर—82 | 205. हमारी परमाणु नीति—138 |
96. भारत वचनबद्ध है—82 | 206. हमारी सेनाएँ राष्ट्रीय एकता की प्रतीक—139 |
97. भारत और रूस की वचनबद्धताएँ—82 | 207. हिंदी में सभी भावों की अभिव्यति—140 |
98. भारत परमाणु अप्रसार के लिए वचनबद्ध—83 | 208. हिंदी का भी स्थान हो—140 |
99. भारत की सुरक्षा सेवाएँ—84 | 209. हिंदी प्रांतों में अंग्रेजी नहीं चलेगी—141 |
100. भारत के लिए सुरक्षा-संकट—84 | 210. हिंदी बने केंद्र की भाषा—141 |
101. भारत एक सार्वभौमिकतासंपन्न राष्ट्र—84 | 211. हिस्सा मिलना चाहिए—142 |
102. भारत सेयूलर रहना चाहिए—85 | त्वरित प्रतिक्रियाएँ—145 |
103. भूमि पर भार ज्यादा है—85 | सधी हुई प्रतिक्रियाएँ—149 |
104. भूतपूर्व सैनिकों का पुनर्वास—86 | विराट् व्यतित्व के धनी अटलजी—152 |
105. भेद की दीवार को ढाना है—86 | विरोधियों से भी मिला जिन्हें सम्मान—155 |
जन्म : 2 जून, 1967 को ग्राम लाँक, जिला शामली, उत्तर प्रदेश में।शिक्षा : स्नातक (उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद)।
कृतित्व : ‘हरियाणा हैरिटेज’ में संपादन कार्य किया। दिल्ली के कई प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थानों के लिए वैतनिक एवं स्वतंत्र रूप से संपादन-लेखन कार्य; विभिन्न प्रकाशन संस्थानों से अब तक लगभग 65 पुस्तकें प्रकाशित। देश की सामाजिक समस्याओं पर 10 कहानियाँ एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में राजनीतिक-सामाजिक विषयों पर अनेक लेख प्रकाशित।