डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत एक आस्थावान् राष्ट्र-सेवक थे। इसके साथ ही वे सभी धर्मों और धर्मावलंबियों के प्रति समान आदरभाव रखते थे। वे स्वभाव से अत्यंत विनम्र और धैर्यशील थे। डॉ. राधाकृष्णन एक उच्चकोटि के दार्शनिक, मूर्धन्य लेखक एवं राष्ट्रीय विचारों के ओजस्वी प्रवक्ता थे। उन्होंने दर्शन एवं संस्कृति पर अनेक ग्रंथों की रचना की।
यों तो डॉ. राधाकृष्णन का मूलरूप एक शिक्षक का ही था, परंतु एक उच्चकोटि के लेखक और दर्शनशास्त्र के व्याख्याता के रूप में उन्हें अधिक ख्याति मिली। ऐसे महान् दार्शनिक, विचारक, चिंतक व शिक्षाशास्त्रा् के प्रेरक विचारों का संकलन अवश्य ही हमारा मार्ग प्रशस्त करेगा।
डॉ. जयश्री का जन्म वाराणसी में हुआ। आपने रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली (उ.प्र.) से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर और पटना विश्वविद्यालय, पटना से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट किया है। आप विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से जूनियर एसोसिएट फैलो एवं नेट (NET) उत्तीर्ण हैं।
कृतित्व : विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ तथा दो पुस्तकें—‘खिलाडि़यों के मुख से’ एवं ‘मसालों का औषधीय महत्त्व’ प्रकाशित।