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श्री साईं बाबा के माता-पिता, उनके जन्म और जन्मस्थान के बारे में किसी को भी ज्ञान नहीं है। इस संबंध में बहुत छानबीन की गई। बाबा से तथा अन्य लोगों से भी इस विषय में जानकारी ली गई, परंतु कोई संतोषप्रद उत्तर अथवा सूत्र हाथ न लग सका।
नामदेव और कबीरदास का जन्म भी सामान्य लोगों की भाँति नहीं हुआ था। वे बालरूप में प्रकृति की गोद में पाए गए थे और ऐसा ही साईं बाबा के संबंध में भी था। वे शिरडी में नीम वृक्ष के तले सोलह वर्ष की तरुणावस्था में भक्तों के कल्याणार्थ प्रकट हुए थे।
वे कफनी पहनते, लँगोट बाँधते और कपड़े के एक टुकड़े से सिर ढकते थे। वे आसन तथा शयन के लिए एक टाट का टुकड़ा काम में लाते थे। इस प्रकार फटे-पुराने चीथड़े पहनकर वे बहुत संतुष्ट प्रतीत होते थे। वे सदैव यही कहा करते थे—‘गरीबी अव्वल बादशाही, अमीरी से लाख सवाई, गरीबों का अल्लाह भाई।’
मानवता, करुणा, परोपकार, पारस्परिकता व जनकल्याण का अनुपम संदेश देनेवाले शिरडी के साईं बाबा के अनमोल वचन और अमर वाणी का प्रेरणाप्रद संकलन।
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अनुक्रम | |
1. बाबा की जीवन-कथा — Pg. 9 | निंदा संबंधी उपदेश — Pg. 75 |
2. बाबा के अमृत वचन — Pg. 17 | भक्ति का बीजारोपण — Pg. 76 |
3. बाबा के कुछ दृष्टांत — Pg. 55 | परिश्रम के लिए मजदूरी — Pg. 77 |
बाबा की विनम्रता — Pg. 55 | क्या सभी को लाभ पहुँचता है? — Pg. 78 |
बाबा का क्रोध — Pg. 55 | बाबा द्वारा गीता के एक श्लोक की टीका — Pg. 78 |
बस, शांत हो जाओ — Pg. 56 | मैं तो गली-गली में रहनेवाला हूँ — Pg. 82 |
नीचे उतरो, शांत हो जाओ — Pg. 56 | लोग यहाँ चींटियों की तरह रेंगते हुए आएँगें — Pg. 82 |
अपना प्रयाग तो यहीं है — Pg. 57 | हाजी सिद्दीक फालके की कथा — Pg. 82 |
केवल गुरु में विश्वास ही पर्याप्त है — Pg. 57 | कुछ गेरू लाना, आज भगुवा वस्त्र रँगेंगे — Pg. 84 |
गुरु की आवश्यकता क्यों है? — Pg. 59 | एक डॉक्टर की कथा — Pg. 86 |
भूख सबकी एक सदृश ही है — Pg. 60 | अमीर शक्कर के प्राणों की रक्षा — Pg. 87 |
बाबा का संतोषपूर्वक भोजन — Pg. 61 | 72 घंटे की समाधि — Pg. 89 |
बाबा की सर्वव्यापकता और दयालुता — Pg. 61 | बाबा की महानता — Pg. 90 |
भक्तों के कष्ट मेरे हैं — Pg. 62 | इंद्रियों को अपना कार्य करने दो — Pg. 91 |
मध्याह्न की आरती के पश्चात् का कार्यक्रम — Pg. 63 | बाबा का विनोद — Pg. 92 |
व्यर्थ बैठने से कुछ लाभ न होगा — Pg. 63 | बाबा की अद्वितीय शिक्षा पद्धति — Pg. 93 |
कभी किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए — Pg. 65 | सीमोल्लंघन — Pg. 96 |
संन्यासी को सद्गति — Pg. 66 | बाबा के अंतिम शब्द — Pg. 97 |
उपवास की आवश्यकता ही क्या है? — Pg. 68 | बाबा के ग्यारह वचन — Pg. 98 |
बाबा के सरकार — Pg. 69 | 4. साईं बाबा की आरतियाँ — Pg. 100 |
पवित्र रुपया — Pg. 70 | काकड आरती — Pg. 100 |
बाबा की विचित्र नीति — Pg. 71 | मध्याह्न आरती — Pg. 104 |
गंगा-स्नान — Pg. 72 | धूप आरती — Pg. 106 |
दो छिपकलियों का मिलन — Pg. 73 | शयन आरती — Pg. 109 |
ब्रह्मदर्शन — Pg. 74 |
पारुल प्रिया
जन्म : 1 अक्तूबर, 1951।
शिक्षा : एम.एस-सी. (गणित), बी.एड.। 1974 से 2011 तक दिल्ली के एक सरकारी विद्यालय में अध्यापन।
फरवरी 2005 में पहली बार शिरडी की यात्रा। साईं बाबा की कृपा हुई और बाबा ने हाथ में कलम थमा दी। कलम भी बाबा की और शब्द भी बाबा के। कलम ने ऐसी गति पकड़ी कि भावधारा बह निकली और पुस्तकों की झड़ी लग गई— साईं अमृतवाणी, साईं अमृतवर्षा, साईं चरितावली, साईं इक देवदूत, रब उतरा धरती पर, साईं मीठा संगीत, साईं बाबा की अमर कहानी, परम पावन धाम शिरडी।