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युगपुरुष माखनलाल चतुर्वेदी हिंदी के ऐसे विरल योद्धा पत्रकार और साहित्यकार थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जेल गए। राष्ट्र के प्रति उनका लगाव और समर्पण अप्रतिम था। वे युवाओं के सच्चे हितैषी और मार्गदर्शक थे। स्वाधीनता के पूर्व उन्होंने अपनी कलम और वाणी रो पूरे युग को अनुप्राणित किया तो स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित करते रहे। उनके चरित्र और आचरण में कोई द्वैत नहीं था। उनका पत्रकारीय लेखन बहुविध था। इसके द्वारा उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त विघटनकारी ताकतों, कुप्रथाओं और संकीर्ण प्रवृत्तियों पर संहारक चोट की। महिलाओं सहित समाज के कमजोर वर्ग के प्रति गहरी संवेदनशीलता उनके लेखन का मूल स्वर रहा। साहस. निडरता, स्वाभिमान और अखंडित व्यक्तित्व के धनी माखनलालजी जीवन भर पद-प्रतिष्ठा और सत्ता के प्रति पूरी तरह निर्लिप्त रहे। उनके व्यक्तित्व में अद्भुत चुंबकीय आकर्षण था, जिसके देखत उनकी कर्मभूमि खंडवा तत्समय कै सभी बड़े राजनेताओं, साहित्यकारों और पत्रकारों की तीर्थस्थली रही। 'कर्मवीर' के माध्यम से माखनलालजी ने जिन बलिपंथी मूल्य आधारित पत्रकारिता के मानक गढ़े वे भारतीय पत्रकारिता की अनमोल विरासत हैं।
इस पुस्तक में श्री शिवकुमार अवस्थी ने चतुर्वेदीजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के विविध पक्षों को बखूबी प्रस्तुत किया है।
डॉ. शिवकुमार अवस्थी रसायन विज्ञान में एम.एस-सी. व पी-एच.डी. हैं। कुछ समय अध्यापन के बाद वे मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी में पदस्थ हुए और संचालक के पद से अवकाश ग्रहण किया। दस वर्षों तक मध्य प्रदेश भोज विश्वविद्यालय के वरिष्ठ सलाहकार एवं ज्ञानवाणी भोपाल के स्टेशन मैनेजर रहे। हिंदी पुस्तकों के संपादन में उनकी दक्षता सुपरिचित है। ‘एक भारतीय आत्मा’ माखनलाल चतुर्वेदी पर उनका मोनोग्राफ गागर में सागर है।