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Mamta Ka Mahataandav Karahata Bangal   

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Author Sanjay Rai Sherpuria
Features
  • ISBN : 9789390900039
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more

More Information

  • Sanjay Rai Sherpuria
  • 9789390900039
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2021
  • 160
  • Soft Cover

Description

पश्चिम बंगाल अपनी समृद्ध, वैभवशाली, ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है। लेकिन पिछले दस वर्षों से तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री के रूप में ‘वंदे मातरम्’ और ‘जन-गण-मन’ की इस भूमि को, जहाँ सांस्कृतिक नवजागरण का उदय हुआ, आतंकवादियों, घुसपैठियों और रोहिंग्या शरणार्थियों की पनाहगाह बनाकर रख दिया है। ममता की छत्रच्छाया में पल-बढ़ रहे ये राष्ट्रद्रोही तत्त्व आज पूरे देश की आंतरिक सुरक्षा को भस्मासुर की तरह चुनौती देते नजर आ रहे हैं, जो हर राष्ट्रवादी के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। माँ, माटी और मानुष का नारा देकर ममता बनर्जी ने राज्य की जनता के साथ जो छल किया है, वह लोकतंत्र पर एक धब्बा है। समाज को खंडित करने के कुत्सित प्रयासों का अंत करने, लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय एकता-अखंडता को पुष्ट करने, भारतीय पुनर्जागरण का जयघोष करने के लिए आज बंगाल में राष्ट्रीय विचारों की पुनर्स्थापना का महती काम होना आवश्यक है। लहूलुहान और कराहते बंगाल की व्यथाकथा बयान करती यह विचारोत्तेजक पुस्तक बंगाल के सामाजिक-सांस्कृतिक नवर्निर्माण के प्रति आश्वस्ति भाव जाग्रत् करती है।

The Author

Sanjay Rai Sherpuria

संजय राय शेरपुरिया
हर बड़ी यात्रा की शुरुआत पहले कदम से होती है, जो विकास और निरंतरता की कहानी बनता है। इसका जीवंत उदाहरण है संजय राय और उनके समूह की विकास गाथा। उनकी कहानी सीमित संसाधनों में असीमित सपनों को साकार करने, उन्हें अपनी मेहनत, लगन और सूझ-बूझ से जमीन पर उतारने तथा उसे बडे़ व्यावसायिक संस्थानों में परिणत करने की है।
सुदूर असम में एक सामान्य किसान परिवार में जन्म लेनेवाले संजय राय अपने सपनों को साकार करने के लिए 17 साल की उम्र में गुजरात आए।  उनके साथ जो कुछ भी था, वह हाई स्कूल की डिग्री थी। अपनी कार्य कुशलता, उत्पादन गुणवत्ता के लिए नई उद्यमिता की निरंतर खोज, सांगठनिक क्षमता से कार्य कुशलता को आगे बढ़ाना और ग्राहक सेवा पर विशेष ध्यान देने की उनकी कार्यशैली ने बहुत कम समय में उन्हें अभूतपूर्व सफलता दी है। सन् 1997 में प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत सरकार से प्राप्त एक लाख रुपए के ऋण के साथ गुजरात से उनकी व्यावसायिक यात्रा और उद्यमशीलता की शुरुआत हुई। संजय राय का समूह आज रसायन, हाइड्रोकार्बन, नमक, ग्रीन ईंधन, खनन, कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी और कई अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों में अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करवा रहा है।

 

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