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नागपुर महापालिका में सबसे युवा मेयर चुने जाने के बाद से महाराष्ट्र राज्य के 18वें मुख्यमंत्री बनने तक का श्री देवेंद्र गंगाधरराव फडणवीस का राजनीतिक सफर तेजस्वी, निष्कलंक एवं प्रेरणाप्रद ही रहा है। उनका व्यक्तित्व राजसत्ता, जनप्रियता और अहंकारमुक्तता का संगम है। इसलिए वह अपनी मेहनत, कुशलता और राजनीतिक चतुरता से शासन-प्रशासन-पार्टी को सक्षम नेतृत्व देने में सफल रहे हैं। अपनी मधुर वाणी, सौम्यता और सादगीपूर्ण व्यवहार से वह लोगों का दिल जीतते आए हैं। राजनीति में आवश्यक संयम और आक्रामकता इन दोनों गुणों का संगम उनमें हुआ है।
केवल महाराष्ट्र का विकास और यहाँ की जनता का चहुँमुखी उन्नयन करने निकल पड़ें वे ‘मैन ऑन मिशन महाराष्ट्र’ हैं। गत पाँच साल में ग्रामीण विकास, किसान और खे ती , आरोग्य, महि ला विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि क्षेत्रों में उनके द्वारा लाए गए नए-नए प्रकल्प और साकार कल्पनाएँ इस बात की साक्षी हैं। उन्हीं के कार्य काल में जलयु क्त शिवार, चाहे इसे खेत में जलसरोवर, माँगे बिजली जैसी कई योजनाएँ सफलतापूर्वक कार्यान्वित हुईं। मुख्यमंत्री सहायता निधि द्वारा कई निर्धन रोगियों को आरोग्य मिला। फेरहिस्त लंबी है, लेकिन जनता ने अनुभव किया है कि यह मुख्यमंत्री महाराष्ट्र का भला करना चाहते हैं।
ऐसे भले व्यक्ति के कार्य का पूरा लेखा-जोखा तो नहीं, लेकिन कुछ कर दिखाने की उनकी ललक की एक झलक का स्वरूप यह पुस्तक प्रस्तुत करती है।
मैं फिर आऊँगा!
मैं फिर आऊँगा!
मेरे किसान भाइयों को चिंता से मुक्ति दिलाने मेरे माता-बहनों को स्वयं पूर्ण-सक्षम करने
मैं फिर आऊँगा—
नव महाराष्ट्र का निर्माण जो करना है।
मेरे युवा मित्रों को नवाचार से सक्षम करने,
गाँव-गाँव में, बिंदु-बिंदु बचाकर उसे जलयुक्त बनाने ग्रामीण महाराष्ट्र की तसवीर बदलने,
मैं फिर आऊँगा—
नव महाराष्ट्र का निर्माण जो करना है।
मैं फिर आऊँगा!
शहरों में आमूलचूल परिवर्तन लाने समूचे महाराष्ट्र को अकाल से मुक्ति दिलाने
नव महाराष्ट्र का निर्माण जो करना है।
मैं फिर आऊँगा—इसी निर्धार से, इसी भूमिका में इसी जगह!
राज्य के हर व्यक्ति का साथ लेने उन सबका हाथ अपने हाथ में लेने
मैं फिर आऊँगा—
मैं फिर आऊँगा—
मेरे अपने महाराष्ट्र को नई आभा देने नव महाराष्ट्र का निर्माण करने
इसी जगह! इसी निर्धार से,
इसी भूमिका में—
मै फिर आऊँगा
(महाराष्ट्र विधानसभा के अंतिम सत्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक कविता से अपने भाषण का समापन किया; यह उसका हिंदी में मुक्तानुवाद है।
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अनुक्रम
प्रस्तावना —Pgs. 7
लेखक का मनोगत —Pgs. 13
महापौर से मुख्यमंत्री तक —Pgs. 23
आंदोलनों से सामना —Pgs. 52
गाथा : विकास कार्यों की
1. भारत का प्रथम डिजिटल विलेज : हरिसाल —Pgs. 59
2. गुट की विकास नीति —Pgs. 65
3. हरंगुल यानी प्रतिविकास —Pgs. 72
4. जांभली में ग्रामसामाजिक परिवर्तन —Pgs. 78
5. वनवासी जीवन में विकास —Pgs. 84
6. सर्वांगीण विकास की नई परिभाषा —Pgs. 89
7. प्रगति का असाधारण मार्ग —Pgs. 93
8. भू-संपादन कृति का द्रुतगति मार्ग —Pgs. 98
9. विरासत की पुनः प्राप्ती —Pgs. 102
जल-व्यवस्थापन
10. जल परीक्षा का मिरज पैटर्न —Pgs. 111
11. वाटर एक्सप्रेस —Pgs. 117
12. कृष्णा हो गई मतवाली —Pgs. 123
अभिनव संकल्पना
13. प्रकृति के बीच पुस्तकालय —Pgs. 135
14. पारंपरिक मच्छीमारी —Pgs. 141
15. डॉल्बीमुक्त शांति का स्वर —Pgs. 147
16. उड्डयन नूतन दिशा में... 152
17. नागपुर का संतरा —Pgs. 156
18. प्राकृतिक पर्यटन : नई पहल —Pgs. 163
19. ताडोबा व्याघ्र प्रकल्प —Pgs. 168
20. डिजिटल स्कूल —Pgs. 174
आरोग्य
21. महा आरोग्य शिविर —Pgs. 179
22. जाको राखे साइयाँ —Pgs. 184
23. नागपुर का नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट —Pgs. 189
कृषि विकास का परिभ्रमण
24. कृषकों का भाग्योदय —Pgs. 199
25. केला कल्पवृक्ष —Pgs. 204
26. ऊसर भूमि बनी उर्वर —Pgs. 212
महिला विकास
27. महिला चहुँमुखी विकास —Pgs. 221
28. कृतावधानी झुलसी हुई चर्या —Pgs. 227
29. मैंग्रोव का जलवन —Pgs. 234
30. सौर ऊर्जा से सूत कताई —Pgs. 242
नाता-संबंध
31. बालाजी पवार ‘मुख्यमंत्री मित्र’ —Pgs. 249
32. पुत्रवत् देवेंद्र —Pgs. 253
33. दानशूरों का साथ —Pgs. 257
34. संवेदना सरिता : राज्य महिला आयोग —Pgs. 260
35. मुख्यमंत्रीजी के गाँव में... 265
आकलन साथी का, साथ सबका...
36. सक्षम व व्यापक संगठन —Pgs. 275
37. महाराष्ट्र : संपन्न, स्थिर एवं सक्षम —Pgs. 281
38. समर्पित मुख्यमंत्री —Pgs. 287
39. नवमहाराष्ट्र का निर्माण —Pgs. 292
दिल्ली एवं देवेंद्रजी
40. दिल्ली की दहलीज पर देवेंद्रजी —Pgs. 299
41. महाराष्ट्र के दो कर्मयोगी —Pgs. 304
42. आए संकटमोचक नरेंद्र-देवेंद्र —Pgs. 308
43. प्रभुजी! तुम चंदन, हम पानी —Pgs. 311
44. प्रकाश एवं मनोहर के अपवर्तन —Pgs. 314
45. अमित शाह व देवेंद्र की परवानी —Pgs. 316
46. देवेंद्रजी के हाथ महाराष्ट्र का साथ —Pgs. 319
आशिष चांदोरकर
विगत अठारह वर्षों से पत्रकारिता में एवं बीस से अधिक वर्ष विविधांगी सामाजिक उपक्रमों में सक्रिय रहे आशिष अरविंद चांदोरकरजी पुणे-महाराष्ट्र स्थित सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के सुवर्ण-पुरस्कार प्राप्त छात्र हैं। उन्होंने पुणे, मुंबई तथा हैदराबाद के परिसरों में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं ऑनलाइन—इन तीनों प्रसार-संचार माध्यमों द्वारा अपने व्यक्तित्व की मुद्रा अंकित करते-करते स्वयं की पत्रकारस्वरूप आजीविका निर्मित की। राजनीति, क्रीड़ा, समाजशास्त्र एवं खाद्य-संस्कृति, उनकी विशेष अभिरुचि के विषय हैं।
आशिष ने चुनाव काल में केवल महाराष्ट्र एवं गोवा में ही नहीं, वरन् साथसाथ गुजरात, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश राज्यों के निर्वाचन क्षेत्रों का भी गहन अध्ययन व विश्लेषण किया।
आशिष ने यशस्विता के साथ सोशल मीडिया के विभिन्न आयामों में भी अपार ख्याति प्राप्त की है। विविध विषयों से संबंधित उनके ब्लॉग भी सदैव चर्चा का विषय बनते हैं। उन्होंने सन् 2018 में सोशल मीडिया पर आधारित लेखन के लिए महाराष्ट्र शासन द्वारा पुरस्कार प्राप्त किया।