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इस पुस्तक में यह बताने का प्रयास किया है कि कैसे एक व्यक्ति, जो सदाही अच्छे-बुरे दिनों के अधीन होता है, अपने जीवन से अनेक सबक सीखता है। ऐसे कठिन दौर में हम कुछ परम प्रश्नों पर विचार करने के लिए विवश हो जाते हैं, जैसे हम इस जगत में क्यों आए हैं? और हमारे जीवन का उद्देश्य और अर्थ क्या है? इससे भी महत्त्वपूर्ण यह कि पाठक उन विषयों में दिलचस्पी दिखाएँगे, जिनकी उनके जीवन में एक अहम भूमिका है। इन व्यापक उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए एक व्यक्ति के आध्यात्मिक सफर को विचारों के छोटे-छोटे टुकड़ों में प्रस्तुत किया गया है। जीवन चुनौतियों से भरा है। कभी-कभी जब हम उतार और चढ़ाव तथा दुःख एवं कष्ट का अनुभव करते हैं तो हमें लगता है कि यह एक रोलर कोस्टर की सवारी के समान है। एक प्रकार से हम अपने जीवन की अग्नि परीक्षा का सामना तब करते हैं जब इस प्रकार के उथल-पुथल और संकट से भरे क्षणों से गुजरते हैं। ऐसे समय में आध्यात्मिक अनुकूलन से हमें अपने मन को शांत करने तथा साहस, सामर्थ्य और धैर्य प्राप्त करने में मदद मिलती है, जिससे कि हम जीवन की समस्याओं को आसानी से सुलझा पाते हैं। यही समय होता है जब हम विश्वास, प्रेम, संवेदना और सहानुभूति के महत्त्वपूर्ण सबक को सीख सकते हैं। संक्षेप में कहें तो मेरे लिए आध्यात्मिकता का अर्थ यही है।
आज की भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी में शांति का मार्ग अध्यात्म ही है। इसी पर चलकर मानव अपने जीवन को सुखी, संतुष्ट और सार्थक कर सकता है। यह पुस्तक आध्यात्मिकता द्वारा आनंद प्राप्त करने का व्यावहारिक रूप प्रस्तुत करती है।
बलविंदर कुमार वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी हैं। एक बहुमुखी व्यक्तित्व के नाते उनकी दिलचस्पियों में पेंटिंग, आत्मचिंतन, विज्ञान और आध्यात्मिकता शामिल है। वे एक विचारक दार्शनिक के साथ-साथ नए युग की आध्यात्मिकता के प्रबल अनुयायी रहे हैं।
उन्होंने नई दिल्ली और लखनऊ की ललित कला अकादमी में प्रदर्शनियाँ लगाई हैं, जहाँ अपने सौ से अधिक तैलचित्र और कैनवास पर ‘अमूर्त’ एक्रिलिक पेंटिंग के कारण उन्हें व्यापक मान्यता मिली। एक विचारक होने के नाते उन्होंने क्वांटम यांत्रिकी, तंत्रिका विज्ञान और चेतना, धर्मशास्त्र तथा तत्त्वमीमांसा पर गहन अध्ययन किया है। भारतीय प्रशासनिक सेवा में काम करते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार में अनेक महत्त्वपूर्ण पदों को सफलतापूर्वक सँभाला है।