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मानवजाति के विकास का मूल अधिकार ही मानवाधिकार है। मानवाधिकारों के विश्वव्यापी घोषणा-पत्र में नागरिक, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक अधिकारों पर 30 अनुच्छेद हैं। भारत के संविधान के अंतर्गत मानवीय मूल्यों का विकास और मानव के सम्मान की रक्षा हो सके, यह मानवाधिकार आयोग के कार्यक्षेत्र में है।
विश्व समुदाय में शांति, सद्भाव, भाईचारा बना रहे और वह अपनी निजता के साथ अपने नैसर्गिक अधिकारों का उपयोग कर सके, इस बात को ध्यान में रखकर संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर, 1948 को मानवाधिकारों के विश्वव्यापी घोषणा-पत्र को स्वीकार किया गया।
ऐसे सभी अधिकार, जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हैं, भारतीय संविधान के भाग-3 में मूलभूत अधिकारों के रूप में वर्णित हैं। इसके अतिरिक्त ऐसे अधिकार, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मान्यता प्राप्त है, मानवाधिकार कहा गया है। मानवाधिकारों का सही ढंग से संरक्षण हो और उसका उल्लंघन करनेवालों को दंडित किया जाए, इस उद्देश्य से मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया है। आयोग को मुख्यत: मानवाधिकारों के संरक्षण, प्रशासन व्यवस्था में सुधार आदि की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पीड़ित व्यक्ति आयोग के माध्यम से अपने अधिकारों का संरक्षण कर सकता है।
मानवाधिकार आयोग समाज में मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता जाग्रत् करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। प्रस्तुत पुस्तक आम जन को इस विषय में विस्तृत जानकारी देने का विनम्र प्रयास है।
जन्म : 10 नवंबर, 1958 को वारासिवनी, जिला बालाघाट (म.प्र.) में।
शिक्षा : हिंदी स्नातकोत्तर एवं पत्रकारिता में स्नातक।
प्रकाशन : ‘एक बटे ग्यारह’ (व्यंग्य संग्रह), ‘दूषित होने की चिंता’ (लेखा एवं टिप्पणियों का संग्रह) तथा पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन।
संप्रति : मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से 1987 में सहायक संचालक जनसंपर्क के पद पर चयनित। वर्तमान में अपर संचालक जनसंपर्क, सन् 2004-05 में छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोग में प्रतिनियुक्ति पर जनसंपर्क अधिकारी, छत्तीसगढ़ पाठ्य-पुस्तक निगम में अगस्त 2005 से महाप्रबंधक के पद पर प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत।
प्रगतिशील लेखक संघ, भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) से गहरा जुड़ाव। छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ के प्रांताध्यक्ष और छत्तीसगढ़ शासन के मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों के फेडरेशन के संयोजक। रायपुर में गत 13 वर्षों से हो रहे मुक्तिबोध राष्ट्रीय नाट्य समारोह के संयोजक। अपने पैतृक निवास को पिता स्व. राधाकिसन मिश्र की स्मृति में ग्रंथालय में परिवर्तित कर उसका संचालन।
इ-मेल : mishra.subhash19@gmail.com shubhashmishra.blogspot.com