₹250
मणिपुर’ पूर्वोत्तर भारत का मैदानी-पहाड़ी भूभागों से मिश्रित एक छोटा सा राज्य है। यहाँ पर मुख्यतः मीतै समाज और नागा-कुकी जनजातीय समाज के लोग निवास करते हैं। इनके बीच मौखिक परंपरा में प्रचलित लोककथाओं को कहने-सुनने की परंपरा आदिकाल से ही विद्यमान है। इस लोककथा-संकलन में मीतै तथा नागा-कुकी समाज की पचपन लोककथाओं को स्थान मिला है, जिनसे पाठकों को मणिपुर की समृद्ध लोक-संस्कृति, लोक-जीवन, और लोक-परंपराओं की जानकारी मिलेगी, जिनसे मणिपुरी समाज को जाने-समझेंगे।
यशवंत सिंह
जन्म स्थान : ग्राम-मकराँव, जिला-हमीरपुर (उ.प्र.)।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), नेट/जे.आर.-एफ., डी.फिल. (इलाहाबाद विश्वविद्यालय)।
रचनात्मक उपलब्धियाँ : ‘बुंदेलखंडी लोककथाओं में कथाभिप्राय’ शीर्षक से एक पुस्तक तथा 52 आलेख देश की विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित। 37 राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, संगोष्ठियों में सहभागिता एवं आलेख-व्याख्यान प्रस्तुति।
मार्गदर्शन : (क) क.मु. हिंदी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ आगरा में अध्यापन के दौरान 28 छात्र/छात्राओं ने एम.फिल. (हिंदी) उपाधि के लिए लघुशोध-प्रबंध पूर्ण किया। (ख) हिंदी विभाग, मणिपुर विश्वविद्यालय इंफाल में दो शोध-छात्राओं ने पी-एच.डी. उपाधि के लिए शोध-प्रबंध पूर्ण किया।
पुरस्कार : ‘हिंदी भाषा भूषण’ मानद उपाधि, साहित्य मंडल, नाथद्वारा, राजस्थान।
सदस्य, विशेषज्ञ समिति, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली तथा सदस्य, एंटी हाइजैकिंग टीम, इंफाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मणिपुर।
संप्रति : प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग, मणिपुर विश्वविद्यालय।