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Manus Tan   

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Author Rita Shukla
Features
  • ISBN : 9789386001740
  • Language : Hindi
  • ...more

More Information

  • Rita Shukla
  • 9789386001740
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2017
  • 152
  • Hard Cover

Description

अंतर्ग्लानि अकेली मेरी नहीं, दाह उनके कलेजे में भी है। दूसरी कोई संतान नहीं, अकेला मैं...और मैं भी तो...लेकिन सुवर्णा, मेरी समझ से नियति अपने क्रियाकलापों में कोई भी हस्तक्षेप बरदाश्त नहीं कर सकती...। तुम लोग अपने एकाकीपन का भार मुझे इसी तरह उठा लेने दो...बड़े सौभाग्य से मानव-जन्म की मर्यादा का निर्वाह मुझे इसी रूप में करना है। हाँ, कभी उस ईश्वर से अपने इस भाई के लिए कोई प्रार्थना करनी हो तो यही करना कि अगले जन्म में वह...

दिनाजपुरवालों की इतनी औकात नहीं है कि वे अपनी बेटी के लिए अच्छा घर, सुरूप वर जुटा सकें—इसीलिए वे हमारी दया-दृष्टि की लालसा लिये बैठे हैं।...उस लड़की की आँखों में मेरे लिए हिकारत होगी या करुणा—और ये दोनों ही परिस्थितियाँ मेरी जिंदगी को हर तरह से दयनीय बनाकर छोड़ेंगी...नहीं, हम तुम्हारी यह बात कभी नहीं मान सकते...कभी नहीं...! तुम्हें किस बात की चिंता है, अम्मा, बाबूजी नहीं रहे तो क्या, मैं तो हूँ। मेरे रहते तुम्हें कौन सा अभाव?...

मैंने भी अपने भीतर एक सुरक्षा कवच ढूँढ़ लिया है, सुवर्णा...जब कभी मन बेहद अकेला अथवा संतप्त होता है, मैं अपने उसी एक क्षण के स्वर्ग की ओर वापस लौट जाता हूँ। तुम नहीं जानतीं—अनजाने ही मुझे जो निधि मिली है, उसे आत्मा की सात तहों में समेटकर मैं यह जीवन बड़ी आसानी से बिता लूँगा। यह बंधन ही क्या कम है? जीने के लिए अब किसी बाहरी बंधन की अपेक्षा नहीं?
—इसी पुस्तक से

प्रख्यात कथाकार ऋता शुक्ल की कहानियों में समाज का संत्रास आँखों देखी घटना के रूप में उभरता है। तभी तो उनकी कहानियाँ संस्मरण, रेखाचित्र और कहानी का मिला-जुला अनूठा आनंद प्रदान करती हैं। प्रस्तुत है उनकी हृदयस्पर्शी एवं मार्मिक कहानियों का संकलन ‘मानुस तन’।

The Author

Rita Shukla

जन्म : 14 नवंबर, 1949 को डिहरी ऑन सोन में।
शिक्षा : स्नातक हिंदी ‘प्रतिष्ठा’ परीक्षा में विशिष्टता सहित प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान एवं स्वर्ण पदक प्राप्त, पी-एच.डी.।
रचना-संसार : ‘अरुंधती’, ‘अग्निपर्व’, ‘समाधान’, ‘बाँधो न नाव इस ठाँव’, ‘कनिष्ठा उँगली का पाप’, ‘कितने जनम वैदेही’, ‘कब आओगे महामना’, ‘कथा लोकनाथ की’ (उपन्यास); तीन उपन्यासकाएँ; ‘दंश’, ‘शेषगाथा’, ‘कासों कहों मैं दरदिया’, ‘मानुस तन’, ‘श्रेष्ठ आंचलिक कहानियाँ’, ‘कायांतरण’, ‘मृत्युगंध, जीवनगंध’, ‘भूमिकमल’ तथा ‘तर्पण’ (कहानी-संग्रह)।
सम्मान-पुरस्कार : ‘क्रौंचवध तथा अन्य कहानियाँ’ को भारतीय ज्ञानपीठ युवा कथा सम्मान, ‘लोकभूषण सम्मान’, ‘थाईलैंड पत्रकार दीर्घा सम्मान’, ‘राधाकृष्ण सम्मान’, ‘नई धारा रचना सम्मान’, ‘प्रसार भारती हिंदी सेवा सम्मान’, ‘हिंदुस्तानी प्रचार सभा सम्मान’, ‘हिंदी सेवा सम्मान’ एवं अन्य सम्मान। कला संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की सदस्य। केंद्रीय राजभाषा समिति की सदस्य, साहित्य अकादमी की सदस्य।
 

 

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