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जीजाबाई और शिवाजी के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है । वीरमाता जीजाबाई का जीवन गंगाजल की तरह निर्मल और पवित्र था; साथ ही दीपक की स्निग्धता और सूर्य की प्रखरता भी उनमें विद्यमान थी । भारत भूमि पर हिंदवी स्वराज्य की स्थापना करने का सपना जिजाउ ने शिवबा की आँखों से देखा । मुगल आदिलशाह और निजामशाह ने अपने अत्याचारों से हिंदुओं पर कहर बरपाया था । ऐसे में हिंदुओं की रक्षा करने का बीड़ा शिवाजी ने बाल्यावस्था में ही उठा लिया था । शिवाजी की वीरता, निडरता, कार्य- कुशलता, रण-चातुर्य आदि सब गुण जिजाउ के संस्कारों से ही उनके खून में उतरे थे ।
जिजाउ केवल राजमाता या शिवाजी की ही माता नहीं थीं अपितु स्वराज्यमाता भी थीं । स्वराज्य के निर्माण में वह आदिशक्ति और प्रेरणा की स्रोत थीं । शिवाजी को पिता के साथ रहने का अवसर बहुत कम मिला; लेकिन माता जीजाबाई की छत्रच्छाया उनपर हमेशा रही । शिवाजी की मातृभक्ति और जिजाउ का पुत्र-प्रेम-दोनों ही अतुलनीय थे ।