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जम्मू एवं कश्मीर की आध्यात्मिक गरिमा तथा इसके प्राकृतिक सौंदर्य के कारण ही संसार भर में इसे विशेष स्थान प्राप्त है। जम्मू एवं कश्मीर में भगवान् शिव तथा माता भवानी के अनेक तीर्थस्थल हैं, जिनमें सर्वश्रेष्ठ भगवान् शिव व माता पार्वती की तपस्या-स्थली बाबा अमरनाथ की गुफा कश्मीर के उत्तर में तथा माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा जम्मू के उत्तर की ओर शिवालिक पर्वत-शृंखला में त्रिकुटा पर्वत के मध्य चोटी की कंदराओं में अति-रोमांचकारी दिव्य पिंडियों के रूप में विराजमान है।
आज वैष्णो देवी का यह पवित्र तीर्थस्थल लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है। वर्ष भर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ बनी रहती है। जम्मू एवं कश्मीर के जाने-माने लेखक श्री विद्या सागर शर्मा ने ‘माता वैष्णो देवी’ पुस्तक में विश्व प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी तीर्थ को नए प्रारूप में प्रस्तुत किया है, जिसमें त्रिकुटा पर्वत की 13 कि.मी. की पग-यात्रा के विभिन्न पहलुओं को विस्तारपूर्वक उजागर किया है। मुझे पूरी उम्मीद है कि यह पुस्तक न केवल अन्य प्रदेशों से आने वाले यात्रियों अपितु यहाँ के स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए भी एक यात्रा गाइड का कार्य करेगी। —ए.के. रैना स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टोरेट एस.एस.ए. (शिक्षा विभाग) जम्मू-कश्मीर (जम्मू)
जन्म : 27 फरवरी, 1954 (15 फाल्गुण 2010) धर्मसाल (राजौरी)। शिक्षा : एम.एस-सी. (रसायन शास्त्र), बी.एड., एम.एड., डी.वी.एम.। दूरदर्शन एवं आकाशवाणी से छिटपुट वार्त्ताएँ तथा हिंदी, डोगरी, पहाड़ी एवं उर्दू में कविताएँ आदि प्रसारित। प्रकाशन : ‘लद्दाख एंड हिमालियाज’, ‘कारगिल : दि हार्ट ऑफ हिमालियाज’ (अंग्रेजी), ‘जम्मू पर्यटन एवं दर्शन’ तथा ‘वीर-भद्रेश्वर महिमा’ (हिंदी)। जम्मू-काश्मीर की स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं एवं जे. ऐंड के. ऐकेडमी ऑफ कल्चर एंड लैंग्वेजेज द्वारा प्रकाशित पत्रिकाओं—योजना, शिराजा, हमारा साहित्य, लोऽ आदि में स्फुट लेखन। सम्मान : राष्ट्रीय-संघ द्वारा ‘अवंतिक’ सम्मान, डॉ. एस. राधाकृष्णन सम्मान, सरला चौपड़ा मैमोरियल सम्मान। संप्रति : जम्मू-कश्मीर शिक्षा विभाग एवं जवाहर नवोदय विद्यालय (जे.एन.वी.) के पूर्व प्रधानाचार्य।