Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Mati Mere Desh Ki   

₹250

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author VS Naipaul
Features
  • ISBN : 9788173155628
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • VS Naipaul
  • 9788173155628
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2009
  • 235
  • Hard Cover

Description

सर वी.एस. नायपॉल का मनुष्य के संघर्ष, कामनाओं के स्कुटन, आदर्श की आकांक्षा, पहचान के संकट, अर्थ की तलाश और आदर्शवाद तथा व्यक्ति के वैशिष्ट्य के द्वंद्व की रचनात्मक एवं विध्वंसक क्षमताओं का आभास कराता नवीनतम उपन्यास । दक्षिण भारत का विली चंद्रन लंदन और अफ्रीका में लंबा समय व्यतीत करने कै बाद अपनी बहन सरोजिनी के पास बर्लिन पहुँचता है । वह चौथे दशक के आरंभिक वर्षों में है । अपनी बहन की प्रेरणा और जीवन में किसी अर्थ के तलाश की लालसा उसे भारत पहुँचा देती है । वह उग्रवाद के भूमिगत आदोलन में सक्रिय हो जाता है । नगरों की गंदी बस्तियों, दूरस्थ गाँवों और घने जंगलों में छापामार आदोलन में उसकी सक्रियता उसे आदर्श के सम्मोहक स्वप्नों की छाया में पलती हिंसा-प्रतिहिंसा के विविध पहलुओं से रू-बरू कराती है । वह अनुभव करता है कि कैसे एक क्रांतिकारी आदोलन भटकाव का शिकार हो जाता है । छापामारों के बीच बिताए सात वर्षों के अनुभव उस क्रांति से उसके मोहभंग का कारण बनते हैं । अनेक वर्ष उसे जेल में व्यतीत करने पड़ते हैं, जहाँ का अपना विशिष्ट अनुभव-संसार है । वह महसूस करता है कि जिस क्रांति के सम्मोहन में पड़कर वह भूमिगत आदोलन से जुड़ा था वह स्वयं भटकाव का शिकार हो चुका है । जिन गाँवों तथा ग्रामीणों की तकदीर और तसवीर बदलने के लक्ष्य को लेकर यह क्रांतिकारी आदोलन शुरू हुआ था उसमें प्रवंचक राजनीति का भी हस्तक्षेप हो गया है । लंदन के अपने अतीत में लिखी एक पुस्तक उसके लिए मुक्ति का एक द्वार खोलती है । एक पुराने मित्र के प्रयासों से वह उसके पास लंदन पहुँच तो जाता है, परंतु यहाँ भी उसको शारीरिक और मनोवैज्ञानिक भटकाव का ही एहसास होता है । उसका साक्षात्कार एक अलग प्रकार की सामाजिक क्रांति से होता है । अनेक वर्जनाओं से मुका कहे जानेवाले इस संसार में भी वह अपने आपको एक अंतहीन कारा में पड़ा हुआ पाता है और फिर प्राप्त होता है मुक्ति का तत्त्वबोध । पश्चिमी साहित्यिक जगत् में अपनी अनूठी कथावस्तु दृष्टि की स्पष्टता, अद्भुत व्यक्ति चित्रण और अभिभूत कर देनेवाली भाषा-शैली के लिए भरपूर सराहे गए ' नोबेल पुरस्कार ' से सम्मानित सर वी.एस. नायपॉल के उपन्यास ' मैजिक सीड़स ' का यह हिंदी रूपांतर निश्चय ही सराहा जाएगा ।

The Author

VS Naipaul

जन्म सन‍् 1932 में त्रिनिडाड में हुआ। उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में चार वर्ष बिताए और लंदन में रहकर सन‍् 1954 में लेखन प्रारंभ किया। उनकी पमुख पुस्तकें हैं—‘द मि‌स्‍ट‌िक मेस्योर’, ‘द सफरेज ऑफ एलवीरा’, ‘मिगेल स्ट्रीट’, ‘अ हाउस फॉर मि. बिस्वास’, ‘मि. स्टोंस एंड द नाइट्स कंपेनियन’, ‘द मिमिक मेन’ और ‘अ फ्लैग ऑन दि आइलैंड’। उनके चार उपन्यास हैं—‘गुरिल्लाज’, ‘अ बेंड इन द रिवर’, ‘दि एनिग्मा ऑफ अराइवल’, ‘अ वे इन द वर्ल्ड’, ‘मैजिक सीड‍्स’।
‘एन एरिया ऑफ डार्कनेस’, ‘इंडिया : अ वूंडेड सिविलाइजेशन’ और ‘इंडिया: अ मिलियन म्यूटिनीज नाउ’ भारत पर लिखी उनकी प्रसिद्ध तीन पुस्तकें हैं। नए विश्‍व इतिहास का उत्कृष्‍ट अध्ययन ‘द लॉस ऑफ इल डोराडो ’ सन‍् 1969 में और उनके लंबे लेखों का संग्रह ‘दि ओवरक्राउडेड बैराकून’ 1972 में प्रकाशित हुआ। ‘द रिटर्न ऑपऊ ऐवा पेरॉन’ अर्जेंटीना, त्रिनिडाड और कांगो की उनकी यात्राओं पर आधारित है। ‘फाइंडिंग द सेंटर’ में एक लेखक के रूप में उनके उद‍्भव का वर्णन है।
सर नायपॉल को सन‍् 1971 में ‘बुक पुरस्कार’, 1986 में ‘टी.एस. इलियट पुरस्कार’, 1990 में ‘नाइटहुड पुरस्कार’, 1986 में ‘टी.एस. इलियट पुरस्कार’, ‘1990 में ‘नाइटहुड पुरस्कार’, 1993 में ‘डेविड कोहेन ब्रिटिश लिटरेचर पुरस्कार’ तथा 2001 में साहित्य में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए विश्‍व के सर्वोच्च पुरस्कार ‘नोबेल पुरस्कार’ से पुरस्कृत किया गया।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW