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मौलाना अबुल कलाम आजाद का वास्तविक नाम अबुल कलाम गुलाम मुइयुद्दीन था। उनका लोकप्रिय नाम मौलाना आजाद था। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रगण्य नेता होने के साथ ही प्रसिद्ध विद्वान् व कवि भी थे। बहुभाषाविद् आजाद की अरबी, अंग्रेजी, उर्दू, हिंदी, फारसी और बँगला भाषा पर अच्छी पकड़ थी। वर्ष 1923 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने। आजादी के बाद वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने।
मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का में हुआ था। उनकी माता एक अरब महिला थीं और पिता मौलाना खैरुद्दीन एक बंगाली मुसलमान थे। वे हिंदू-मुसलिम एकता के प्रबल पक्षधर थे और मुसलिम युवकों को क्रांतिकारी आंदोलनों के प्रति प्रेरित करते थे।
सन् 1912 में कलाम ने ‘अल हिलाल’ नामक उर्दू साप्ताहिक आरंभ किया। उन्होंने हिंदू-मुसलिम एकता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन् 1914 में सरकार ने उसे प्रतिबंधित कर दिया तो मौलाना ने ‘अल बलघ’ नामक एक साप्ताहिक आरंभ किया।
वे देश-विभाजन के सख्त खिलाफ थे। लेकिन विभाजन ने उनके एक-राष्ट्र के सपने को चकनाचूर कर दिया, जहाँ हिंदू और मुसलिम साथ-साथ रहकर तरक्की कर सकते थे। उनके उल्लेखनीय राष्ट्रीय योगदान के लिए सन् 1992 में मरणोपरांत उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
प्रस्तुत है सांप्रदायिकता को चुनौती देनेवाले, जाति और मजहब से ऊपर उठकर राष्ट्र को अगाध प्रेम करनेवाले एक आदर्श नेता की प्रेरणादायक जीवनी।
मगध विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के बाद स्वतंत्र लेखन के अलावा अध्यापन का कार्य भी करते हैं। इनके लेख अनेक पाठ्य-पुस्तकों में प्रकाशित हो चुके हैं। साहित्यिक योगदान के लिए बिहार सरकार द्वारा सम्मानित।