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Mauritius Ki Swarnim Smritiyan   

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Author Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’
Features
  • ISBN : 9789350481226
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’
  • 9789350481226
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2021
  • 184
  • Hard Cover

Description

मॉरीशस भारत से दूर ' एक और भारत ' की अनुभूति करानेवाली यात्रा है । माँ गंगा की एक और धरती का साक्षात् दर्शन- ' गंगोतरी से गंगा सागर ' जैसी । मॉरीशस उन पुरखों की जीवटता की कहानी है, जिन्होंने दासता की दारुण यंत्रणाओं के बीच भी अपनी संस्कृति व संस्कारों को बचाए रखा । नई पीढ़ियों ने इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए अपनी जन्मभूमि मॉरीशस को समृद्ध, सुसंस्कारित ही नहीं बल्कि मातृभूमि भारत का जीवंत प्रतिरूप ही बना दिया । यही नहीं, दास बनाकर लाए गए पुरखों की इन संततियों ने स्वयश से यशस्वी बनकर आज यहाँ की बागडोर भी सँभाल ली है ।
जो लोग कठिन-से-कठिन स्थितियों में भी हार माननेवाले नहीं होते, स्वयं यश अर्जित करनेवाले, सबके प्रति सरल होते हैं, और मन में जो ठान लिया, उसे कर दिखानेवाले होते हैं ऐसे कर्मठ लोग ही मनुष्यों में शिरोमणि होते हैं ।
प्रस्तुत पुस्तक में मॉरीशस की सांस्कृतिक झाँकी, पर्व, त्योहार, वेश- भूषा, खान-पान तथा विकसित मॉरीशस की विकास-यात्रा सरसता से सँजोई गई है । मॉरीशस की स्वर्णिम स्मृतियों का झरोखा है यह पुस्तक ।

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अनुक्रमणिका

श्रद्धावनत — Pgs. 5

1. माँ गंगा की एक और धरती — Pgs. 9

2. मॉरीशस : एक लघु-भारत — Pgs. 21

3. सागर के मध्य एक नायाब नगीना — Pgs. 27

4. सदा स्मरणीय ‘मील के पत्थर’ — Pgs. 31

5. अविस्मरणीय दिन : यात्रा का आमंत्रण — Pgs. 35

6. यात्रा का शुभारंभ : दुबई में तीन घंटे — Pgs. 40

7. मॉरीशस की धरती को शारस्वत नमन् — Pgs. 46

8. प्रधानमंत्री आवास पर अविस्मरणीय आतिथ्य — Pgs. 51

9. महामहिम से भेंट : सहज आत्मीयता के दर्शन — Pgs. 57

10. एम.जी.आई. : हमारी साझी विरासत — Pgs. 64

11. दिवस ढला : कुछ फुरसत के पल — Pgs. 72

12. ‘राजघाट’ याद आ गया : राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि — Pgs. 81

13. गोपियो सम्मेलन : निवेश का आमंत्रण — Pgs. 95

14. साइबर टावर : भारत-मॉरीशस समृद्धि का द्वार — Pgs. 103

15. गंगा तलाव : भारत के बाहर ‘कुंभ’ — Pgs. 106

16. मॉरीशस का जायका : भारतीय व्यंजनों की महक — Pgs. 114

17. मॉरीशस में तीसरा दिनः एक-एक क्षण का उपयोग — Pgs. 120

18. ले मोर्न : स्वाभिमान और आत्मोत्सर्ग की मिसाल — Pgs. 123

19. अप्रवासी घाट : अमानुषिक यंत्रणा का मूक गवाह — Pgs. 136

20. खड़े हुए प्रश्न का विमोचन : साहित्य गंगा का अविरल प्रवाह — Pgs. 143

21. गोपियो भोज : बहुआयामी रिश्तों का शुभारंभ — Pgs. 151

22. अनमोल यादें : संगठनों से मुलाकात — Pgs. 154

23. समुद्र बीच पर चहलकदमी : घूमने के नाम पर बस इतना ही — Pgs. 156

24. भारत-मॉरीशस : एक-दूसरे की जरूरत — Pgs. 161

25. विदाई की बेला : फिर आना मॉरीशस — Pgs. 165

26. अमिट अनुभूतियाँ : दिल में समाया मॉरीशस — Pgs. 168

27. स्वदेश वापसी : महाकुंभ की चुनौती — Pgs. 171

परिशिष्ट

महामहिम राष्ट्रपति सर अनिरुद्ध जगन्नाथ का संबोधन — Pgs. 173

गोपियो सम्मेलन के अवसर पर मेरा उद्बोधन — Pgs. 175

प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम का संबोधन — Pgs. 177

महाशिवरात्रि पर्व गंगा जलाव पर मेरा संबोधन — Pgs. 179

The Author

Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’

रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
जन्म : वर्ष 1959
स्थान : ग्राम पिनानी, जनपद पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)।
साहित्य, संस्कृति और राजनीति में समान रूप से पकड़ रखनेवाले डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की कहानी, कविता, उपन्यास, पर्यटन, तीर्थाटन, संस्मरण एवं व्यक्तित्व विकास जैसी अनेक विधाओं में अब तक पाँच दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित।
उनके साहित्य का अनुवाद अंग्रेजी, रूसी, फ्रेंच, जर्मन, नेपाली, क्रिओल, स्पेनिश आदि विदेशी भाषाओं सहित तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, संस्कृत, गुजराती, बांग्ला, मराठी आदि अनेक भारतीय भाषाओं में हुआ है। साथ ही उनका साहित्य देश एवं विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा रहा है। कई विश्वविद्यालयों में उनके साहित्य पर शोध कार्य हुआ तथा हो रहा है।
उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए देश के चार राष्ट्रपतियों द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मानित। विश्व के लगभग बीस देशों में भ्रमण कर उत्कृष्ट साहित्य सृजन किया। गंगा, हिमालय और पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन हेतु सम्मानित।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद तथा लोकसभा की सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति।

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